ये मूर्खता ,हम नहीं छोड़ेगे


 ये मूर्खता, हम नहीं छोड़ेगे! स. सम्पादक शिवाकान्त पाठक! 


अग्रेजों के शासन काल में भी हमारी मुर्खता के गुणगान किये जाते रहें आपने पढ़ा होगा कि कोई आपको थप्पड़ मार दे तो दूसरा गाल  करदें  मतलब हम छोटे मोटी मामूली मूर्खों में नहीं रहे हमारा इतिहास मूर्खता से भरा पड़ा है इंगलैंड की रानी ऐलिजावेद  ने भारत में साशन कर रहे अग्रेजों से पूछा कि इंडिया के हालात क्या है तो अग्रेजों ने कहा कि मैडम इंडिया में  99 वे प्रतिशत वेवकूफ हैं सिर्फ ऐक परसेंट बुध्दिमान चतुर लोग हैं जो कि 99 वे वेवकूफों पर अपना रूतवा दिखाते हैं  सभी उनकी बात मानते हैं मरने मिटने को आमादा हो जाते हैं व सभी बुध्दिमान आपस में लड़ते रहते थे परन्तु अब ऐक हो चुके हैं व शेष 99 प्रतिशत लोग उनके इशारे पर बगावत पर उतर आये हैं व हम 4800 अग्रेजों का यहां मार्डर हो सकता है तो रानी ने कहा इंग्लैंड  आ जाओ! है ना स्पष्ट बहुमत वेवकूफों का हमारे यहाँ हम सदियों से बेवकूफ रहे हैं यानि खानदानी वेवकूफी का सर्टिफिकेट है हमारे पास अब सोचिये 50 भेंड़  चराने वाला ऐक ही तो होता है या दस बीस लोग होते हैं भेंड़ तो पशु हैं परन्तु उन्हें चराने वाला ऐम बी बी ऐस डॉक्टर तो होता नहीं है होता तो  वह भी अंगूठा छाप है जो भेड़ो को चराता है  ! लोग कहते हैं कि सभी देशों में  नेता पढ़े लिखे होते हैं तब जाकर देश चलाते हैं तो भाई  ऐक बात बताओ सभी देशों के लोग भी तो पढ़े लिखे होते हैं ना या अनपढ़ गवांर होते हैं?  पढ़े लिखे लोगो पर पढ़े लिखे लोग शासन करते हैं मूर्खों पर शासन करने के लिए डिग्री की जरूरत कब से पड़ने लगी! किसी ने कह दिया ऐक माह की वैसिडिटी के लिए 100 रू का रिचार्ज कराओ अब उनका ऐक माह  कितने दिन का होगा किसी ने पूछा?  जरूरत  क्या पूछने की  पूछे तो तब जब  कुछ  जानते हों भइया मूर्खता हमारा जन्म सिध्द अधिकार है यह मूर्खता हमारी विरासत है इसकी शान के लिए हम मरने मिटने को तैयार रहते हैं। मूर्खता हमारे मन मस्तिष्क ही नही अपितु लीवर ,किडनी से लेकर रोम रोम में बसा है।ऐसा नहीं कि पहले हम ज्ञानी थे बाद में अल्प ज्ञानी हुए और तत्पश्चात मूर्ख बने बल्कि  हम सौ प्रतिशत शुद्ध मूर्ख थे और वर्तमान में भी ख़ालिस मूर्ख है। हमारा जन्म ही मूर्खता के विकास के लिए हुआ है और मूर्खता के उत्थान के लिए हम प्रतिबद्ध है। पाषाण युग से प्रजातंत्र युग तक हमारी मूर्खता में उत्तरोत्तर विकास हुआ है। ये और बात है कि पहले हम मैन्युअल मूर्ख थे अब डिजिटल मूर्ख बन गए है।

          इतिहास साक्षी है कि बिजनेस के चक्कर में हमने गोरों को अपना देश लूटने के लिए सौंप दिया । दारू चखना पर पाँच वर्षों के लिए हम अपने समुदाय में से ही किसी भी उन्नत  मूर्ख को अपना माई बाप बनाने में तनिक भी आगा-पीछा नही करते। यदि टीवी पर कोई बंदा विज्ञापन के दौरान अपनी सफलता का श्रेय किसी डियो, कोल्ड ड्रिंक,गुटखा या अंडरवियर कंपनी को दे दे तो फिर उस प्रोडक्ट की डिमांड का बढ़ जाना इस बात का द्योतक है !


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