मतलब के लिए प्रसंशा पीठ पीछे बुराई करने वालों से सावधान रहें
*स. संपादक शिवाकांत पाठक!*
*परोक्षे कार्य्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्*।
*वर्ज्जयेत्तादृशं मित्रं* *विषकुम्भम्पयोमुखम्* *।।
*जो लोग आपके सामने मधुर वाणी से बोलते हैं व आपके जाने के बाद बुराई करते हैं उन्हें आप समझिए कि विष के घड़े में ऊपर दूध भरा हुआ है ! इस तरह के लोगों को त्याग देने में ही भलाई है!*
*राजा ने किया था आचार्य चाणक्य का अपमान*
मगध राज्य में किसी यज्ञ का आयोजन किया गया था। इस यज्ञ में चाणक्य भी पहुंचे और जाकर एक प्रधान आसन पर बैठ गए। वहां मौजूद महाराज नंद ने उन्हें आसन पर बैठे देख चाणक्य की वेशभूषा को लेकर उनका अपमान किया और उन्हें आसन से उठने का आदेश दिया। इसी बात से क्रोधित होकर चाणक्य ने पूरे सभा के बीच नंदवंश के राजा से बदला लेने की प्रतिज्ञा ली। उन्होंने राजा से कहा कि व्यक्ति अपने गुणों से ऊपर बैठता है, ऊंचे स्थान पर बैठने से कोई भी ऊंचा नहीं हो जाता है। अपनी प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिए आचार्य ने एक साधारण से बालक राजकुमार चंद्रगुप्त को शिक्षा-दीक्षा देकर सम्राट की गद्दी पर बिठा दिया।
चाणक्य नीति के इस श्लोक के माध्यन से ये बताने की कोशिश की है कि मनुष्य को ऐसे लोगों से हमेशा संभलकर रहना चाहिए जो आपके मुंह पर तो मीठी बातें करते हैं, लेकिन पीठ पीछे हमेशा आपके खिलाफ साजिश करते रहते हैं। ऐसे लोग उस जहर के घड़े के समान है, जिसकी उपरी सतह दूध से भरी है।
इस तरह के लोग मौका देखते ही आपको नुकसान पहुंचाते हैं। साथ ही आपकी योजनाओं को असफल करने के प्रयास में जुटे रहते हैं। छवि और धन की हानि करते हैं। इसलिए चेहरा देखकर बात करने वालों से सचेत रहना चाहिए। ऐसे लोग अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए कुछ भी कर सकते
हैं। इनका विश्वास नहीं करना चाहिए। इस स्वभाव के व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए आपको हानि पहुंचा सकते हैं। ऐसे लोगों को समय रहते ही पहचान लेना चाहिए और एक निश्चित दूरी बनाकर रहना चाहिए।
वी एस इन्डिया न्यूज चैनल दैनिक साप्ताहिक विचार सूचक में खबरे विज्ञापन के लिए संपर्क करें स संपादक शिवाकांत पाठक 9897145867
Comments
Post a Comment