प्रकृति के लिहाज से,,इंसान से बेहतर होते हैं जानवर ,,
स.संपादक शिवाकांत पाठक!
( आओ सीखें कुछ पक्षियों से )
१. रात को कुछ नहीं खाते।
हम रात दो बजे भी होटलों शादी पार्टियों में खा लेते हैं,,,,,,
२. रात को घूमते नही ।
हमारे लिए रात दिन में कोई फर्क नहीं,,,,
३. अपने बच्चे को सही समय पर सिखाते हैं।
हम जो सिखाना चाहिए नहीं सिखाते,,,,
४. ठूस ठूस के कभी नही खाते। आप ने कितने भी दाने डाले
हों,
थोड़ा खा के उड़ जायेंगे। साथ कुछ नहीं ले जाते ।
हम कुछ भी नहीं छोड़ते,, रिश्वत, घोटाले,,हमारी कोई लिमिट नहीं,,,,
५. रात होते ही सो जायेंगे, सुबह जल्दी जाग जायेंगे, गाते चहकते उठेंगे।
कोई भी सुनिश्चित नहीं है,,,
६. अपना आहार कभी नहीं बदलते।
हम कुछ भी खा लेटे हैं,,,,,
७. बच्चों से कभी कोई भी उम्मीद नहीं रखते,,,,
हम उम्मीदों से ही उनका भविष्य खुद तय करने लगते हैं,,,
८. अपने शरीर से सतत् काम लेते हैं। रात के सिवा आराम
नही।
हमको बिना कुछ किए मिल जाए तो क्या बात है,,,
९. बीमारी आई तो खाना छोड़ देंगे, तभी खायेंगे जब ठीक होंगे।
जब तक डॉक्टर मना नहीं करे तब तक खाते हैं,,,
१०. अपने बच्चे को भरपूर प्यार देंगे।
हम हॉस्टल में भेजते हैं,,हमारे पास समय नहीं है,,,,,
११. परिश्रम करने से हृदय, किडनी, लिवर के रोग नहीं होते। है।
हमारे पास सभी रोग आकर विश्राम करते हैं,,,
१२. प्रकृति से उतना ही लेते हैं जितनी जरूरत,,
हमरी जरूरतें पूरी ही नहीं होती,,,,
१३. अपना घर पर्यावरण अनुकूल बनाते हैं।
हम प्रकृति को तहस नहस करते हैं,,,,
१४. अपनी भाषा छोड़कर दूसरों की बोली नहीं बोलते।
हमको अपना भेष,भाषा , भोजन हमको पसंद नहीं है,,,,,
अच्छा है कुछ ले जाने से देकर ही कुछ जाना,, आप सारा जीवन अपने और अपने परिवार के लिए जीते हैं,, लेकिन समाज एवम राष्ट्र हित में आपने क्या योगदान दिया ,, अपने ओजस्वी विचार,, लेख कविता,, जो कि समाज को नई दिशा दे,, हमको अवश्य भेंजे,,,,,
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