बटवारा

 



☪️✝️🕉️☦️ *सबका मालिक एक**



*प्रेरणा दायक लघु कथा*🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹




*एक पिता के चार संताने थी जिसमें दो बड़े बेटे चालाक व दो छोटे बेटे बहुत सीधे थे एक बार पिता ने सोचा मेरे मरने के बाद मेरी संपत्ति का बटवारा चारो लोग कैसे करेंगे क्यों कि दो तो बेचारे बहुत सीधे थे! इसलिए आजमाने के तौर पर पिता ने चालाक बेटों को 50 रुपए दिए व कहा कि चारो में बराबर बांट दो* 



*दोनों चालाक बेटों ने 20 बीस रुपए ले लिए व जो सीधे थे उन्हें पांच पांच रुपए दिए व कहा कि कोई दिक्कत हो तो बताओ दोनों सीधे बेटे चुप रहे लेकिन पिता ने सीधे बेटों से पूछा कितने पैसे मिले हैं तुम लोगों को तो उन्होंने सच बता दिया* 



*पिता को बहुत दुख हुआ उसे रात में नींद नहीं आई क्यों कि पिता के लिए सभी संताने बराबर होती हैं पिता ने सोचा कि मेरे मरने के बाद ये इसी तरह से बटवारा करेंगे व सीधे बेटों के साथ अन्याय होगा* 



*पिता का निर्णय=* *पिता के पास पचास बीघे जमीन थी उसने वसीयत में लिखा  कि बाद मरने के मेरी अचल सम्पत्ति पचास बीघे जमीन में दोनों छोटे बेटे बीस बीस बीघा जमीन के मालिक होंगे व दोनों बड़े बेटों को पांच पांच बीघा जमीन का मालिकाना हक दिया जाए यह निर्णय मैं अपने होशो हवास में ले रहा हूं यही मेरा अंतिम निर्णय है*



*शिक्षा =* *हम किसी के साथ जब भी गलत तरीके लालच धोखा आदि कारण निर्णय लेने की भूल करते हैं तो हमारे अंदर बैठे मालिक, ऊपर वाले, परम पिता को दुख होता है क्यों कि उसके लिए सभी बेटे बराबर हैं और तुम्हारी भूल तथा लालच का परिणाम भी उसी समय निश्चित हो जाता है*

Comments

  1. मेरा अनुभव भी यही कहता है।साधुवाद

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