कोई होटल से कूदा, कोई मंदिर में होने की वजह से बचा... धराली आपदा से ज़िंदा बचे लोगों ने सुनाई आपबीती

 


उत्तराखंड के धराली में आपदा आने के बाद, पूरा इलाका अचानक कीचड़ और पानी के विनाशकारी बहाव में डूब गया, जिसने कुछ ही सेकंड में गांव के बड़े हिस्से को नेस्तनाबूद कर दिया. धराली से एयरलिफ्ट करके हेलीपैड पहुंचे कुछ लोगों ने धराली में हुए हादसे के मंजर का आंखों देखा हाल बयान किया.




रामपुर निवासी महेंद्र सैनी ने बताया कि वो धराली में ही रुके थे, तभी अचानक ऊपर से कीचड़ और मलबा आने लगा। गाड़ी के टायर धंसने लगे। महेंद्र ने बताया कि उन्होंने अपने साथी से कहा वीडियो बनाओ, लेकिन वह घबराकर बोला ये खतरनाक है, जल्दी निकलो। इसी बीच आवाजें आने लगीं और आर्मी के जवान दौड़ते हुए आए। उन्होंने बताया कि एक गांव पूरा बह गया है। यह सुनकर हम सन्न रह गए। ये सुनकर ऐसा लगा कि अगर हम वहां होते तो शायद आज जिंदा न होते।



गंगोत्री में फंसे, नेटवर्क ठप

महेंद्र आगे बताते है कि गंगोत्री पहुंचते ही धाम को अलर्ट कर दिया गया, पार्किंग बंद कर दी गई थी। राहत गाड़ियां आने लगीं, जो मलबे में फंसे लोगों को ला रही थीं। नेटवर्क पूरी तरह ठप था। घरवालों को तीन दिन तक हमारी कोई खबर नहीं मिली। तीसरे दिन सरकारी फोन से सिर्फ 30 सेकेंड बात हुई, जिसमें हमने बस इतना कहा हम ठीक हैं।


उत्तराखंड में कई बार दैवीय आपदाएँ आई हैं, जिनमें 2013 की केदारनाथ बाढ़ और 2021 की चमोली आपदा प्रमुख हैं। 2013 में बादल फटने और भारी बारिश के कारण आई बाढ़ में 6,000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. 2021 में, चमोली जिले में ग्लेशियर के टूटने से आई बाढ़ में 200 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. इसके अलावा, 1991 में उत्तरकाशी भूकंप, 1998 में मलपा भूस्खलन, और 1999 में चमोली भूकंप भी बड़ी आपदाएं थीं. 

उत्तराखंड में दैवीय आपदाओं का इतिहास:

1857:

अतिवृष्टि के कारण बिरही नदी में बना ताल टूटने से अलकनंदा घाटी में भारी तबाही. 

1951:

नयार नदी में आई बाढ़ से सतपुली कस्बे में बड़े पैमाने पर नुकसान. 

1959:

कौंधा में भूस्खलन, दर्जनों लोगों की मौत. 

1991:

उत्तरकाशी भूकंप, भारी जानमाल का नुकसान. 

1998:

मलपा भूस्खलन, भारी तबाही. 

1999:

चमोली भूकंप, भारी जानमाल का नुकसान. 

2004:

बद्रीनाथ क्षेत्र में बादल फटने से लगभग 60 लोगों की मौत. 

2012:

रुद्रप्रयाग जिले में बादल फटने से लगभग 60 लोगों की मौत. 

2013:

केदारनाथ बाढ़, 6,000 से ज़्यादा लोगों की मौत. 

2021:

चमोली आपदा, 200 से ज़्यादा लोगों की मौत. 

2024:

केदारनाथ में भूस्खलन और बादल फटने से 3 लोगों की मौत. 

2025:

उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने से भारी तबाही.

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