राखी का नाम सुनते ही भाई-बहन के प्यार की वो डोर याद आती है,,

 


स संपादक शिवाकांत पाठक,,



यह प्रेम की कड़ी जो ना सिर्फ भावनाओं से जुड़ी होती है, बल्कि इतिहास, परंपरा और विज्ञान तक इसकी जड़ें फैली हुई हैं। राखी सिर्फ एक रंगीन धागा नहीं है ।यह समर्पण, सुरक्षा और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है। सोचो हमारा रहन सहन, बोल चाल, खानपान, संसाधन सब कुछ तो बदल गया,, मोबाइल फोन के चलते फोटो ग्राफरों, घड़ियों, कलेन्डरों आदि का चलन बंद हो लेकिन वाह एक बहन का प्यार जिसने आज भी लिफाफे में कैद राखियों को डांक पोस्ट के जरिये भेजनें की प्राचीन परम्परा को जीवंत बनाये रखा,, पत्रों ने मोबाइल फोन का रूप भले ही ले लिया हो लेकिन राखियों के लिये आज भी लाखों भाइयों को लिफाफे का इंतजार रहता है,, इसीलिए कहते है की सच्चे प्रेम की परिभाषा को जानना इतना सहज नहीं होता,,


हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह पर्व सिर्फ एक परंपरा भर नहीं, बल्कि अनगिनत कहानियों का संवाहक है, जिनमें छुपे हैं कुछ ऐसे रहस्य और किस्से, जो आज भी बहुत से लोगों को नहीं मालूम।चलिए जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ अनसुनी, लेकिन बेहद दिलचस्प बातें, जो इस त्योहार को और भी खास बना देती हैं।

महाभारत में वर्णित एक कथा के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया, तब उनकी अंगुली से रक्त बहने लगा। द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दिया। यह घटना श्रावण पूर्णिमा की थी। कहते हैं, यही वो रक्षासूत्र था जिसकी कीमत श्रीकृष्ण ने चीरहरण के समय चुकाई जब उन्होंने द्रौपदी की लाज बचाई।

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