प्रथ्वी को कहीं बुखार तो नहीं है,, कौन है जिम्मेदार,,?

 


स.संपादक शिवाकांत पाठक।


( सूर्य का प्रचंड रूप धारण करना इंसानी गलतियों का कारण तो नहीं )


ए सी केवल आपके घर तब तक ठंडा रखती है जब तक कि लाइट है और लाइट तब तक है जब तक कि प्रथ्वी पर पानी है, और पानी तब तक है जब तक कि वृक्ष हैं,, वृक्ष प्रकृति पुत्र कहलाते है,, वृक्षों का विनाश प्रकृति का विनाश है और प्रकृति का क्रोध संपूर्ण विश्व का विनाश सुनिश्चित करता है,, पहले गांव के घरों के आंगन में खलिहानों में खेतों में वृक्ष होते थे,, अब गमलों में पौधे लगा कर तुम घरों में ए सी का मजा ले सकते हो लेकिन तबाही से कोइ भी नहीं बचा सकता,,, जिस प्रकृति से तुमने जन्म लिया है तुम उससे दूर होते जा रहे हो,,,,पूर्वज जानते थे कि प्रकृति है तो जीवन है लेकिन आज पहले की अपेक्षा मनुष्य स्वयं को ज्यादा ज्ञानी समझ बैठा और अपनी महत्वाकांक्षाओ की पूर्ति हेतु प्रकृति का विनाश करने लगा, पर्वतों को तोड़ कर अपने लिऐ रास्ते बनाने लगा पेड़ों को काट कर जंगलों में कालौनियां काटने लगा,, राष्ट्र हित को ताक में रख कर, पद के अभिमान में स्वयं को भूल गया,, जहां शुद्ध वातावरण था वहां कल कारखाने बन गए,, तीर्थों के नाम पर धन अर्जित करने की नई नई स्कीमें बनने लगीं,, नदियों से प्राप्त खनिज का अवैद्य खनन होने लगा,, बडे़ बडे़ लोग साझेदार होने लगे प्रकृति को ताक में रख दिया,,, तो फिर प्राकृतिक आपदाओं पर घड़याली आशू क्यों,,


अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा,, वृक्ष प्रकृति का गहना है,, एक बार जिस प्रकृति ने मनुष्य को जन्म दिया है उसका कर्ज उतार कर देखो वृक्ष लगाओ,,


पृथ्वी का तापमान 1850-1900 के "पूर्व-औद्योगिक" औसत की तुलना में 1.5 और 2 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करना शुरू कर रहा है। इससे लोगों को गर्मी से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। तस्वीर-योगेंद्र सिंह/Pexels।



सावधान,,,,👇🏽


( कई राज्यों में रेड अलर्ट जारी )

पंजाब में फरीदकोट शहर सबसे गर्म रहा, यहां तापमान 47.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

उत्तर प्रदेश में झांसी का तापमान सबसे अधिक 47.6 डिग्री सेल्सियस रहा।

महाराष्ट्र के अकोला में भीषण गर्मी के कारण 31 मई तक धारा 144 लागू कर दी गई है।

राजस्थान में गर्मी का ये आलम है कि BSF के जवान ने गाड़ी के बोनट पर रोटी सेंक ली।

गर्मी के कारण उदयपुर में 3 दिन में 300 चमगादड़ों की मौत हुई है।

राजस्थान के फलौदी का तापमान रविवार को भी 50 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया।


साल 2023 अब तक का सबसे गर्म साल रिकॉर्ड किया गया था। पिछला साल औद्योगिक क्रांति से पहले (1850-1900) के औसत से 1.48 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म रहा। यही नहीं, 2024 के जनवरी महीने को सबसे गर्म रिकॉर्ड किया गया था।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानी गतिविधियों से दुनिया भर में गर्मी बढ़ रही है। हालांकि अल-नीनो ने इसमें आग में घी डालने जैसा काम किया है जिसे इस रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की बड़ी वजह माना जा रहा है।

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की विशेष रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा बढ़ोतरी होती है, तो अत्यधिक व तेज बारिश, सूखा और लू जैसे गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।

वैज्ञानिक शायराना अंदाज में कहते हैं, “धरती को बुखार हो गया है।” इसका मतलब यह है कि तापमान 1850-1900  के “औद्योगिक क्रांति से पहले” के औसत की तुलना में 1.5 और 2 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करने के करीब है। यह लोगों को गर्मी से होने वाली मुश्किलें जैसे जलवायु परिवर्तन के खतरों की तरफ धकेल रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बढ़ते तापमान के लिए इंसानी गतिविधियों से मौसम में हो रहा बदलाव जिम्मेदार है जिसे अस्थायी तौर पर अल नीनो (उष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत के मौसमी गर्म मौसम का प्राकृतिक बढ़ाव जो हर दो से सात साल में होता है) हवा दे रहा है।


साल 2023 में बढ़ती गर्मी के संकेत पूरी तरह सामने और स्पष्ट थे – भूमध्यसागरीय क्षेत्र और संयुक्त राज्य अमेरिका में लू चलना। कनाडा, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया में जंगलों में आग लगना। अफ्रीका के हॉर्न में लंबे समय तक सूखे के बाद बाढ़।


दुनिया भर में साल 1850 से तापमान का डेटा रखना शुरू हुआ था। इसके बाद से 2023 अब तक का सबसे गर्म साल है। वहीं सबसे गर्म जनवरी महीना भी दर्ज किया गया। विश्व मौसम विज्ञान संगठन का कहना है, “1980 के दशक के बाद से हर दशक पिछले दशक की तुलना में ज्यादा गर्म रहा है। पिछले नौ साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहे हैं।” यूके के मौसम कार्यालय का अनुमान है कि मोजूदा साल, पिछले साल के मुकाबले ज्यादा गर्म हो सकता है।


भारत में हालात बहुत बेहतर नहीं हैं। केरल समेत भारत में अन्य जगहों के लिए लू चलने की चेतावनी दी गई है। तिरुवनंतपुरम में मछुआरों ने कहा कि वे बेतहाशा गर्मी के बीच पीने के पानी के अतिरिक्त डिब्बे समुद्र में ले जा रहे हैं, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी ना हो।


तापमान का कौन-सा रिकॉर्ड टूटा

दुनिया भर में साल 2023 में औसत तापमान 14.98 डिग्री सेल्सियस था। यह 1850-1900 के औसत से 1.48 डिग्री सेल्सियस ज्याद था। यही नहीं, पिछले सबसे गर्म साल 2016 की तुलना में 0.17 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। दरअसल, पेरिस जलवायु समझौते में धरती के तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री के अंदर रखने पर सहमति बनी थी। लेकिन यूके के मौसम कार्यालय को लगता है कि इस साल पहली बार 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ोतरी की सीमा टूटने से इनकार नहीं किया जा सकता है। 


जनवरी 2024 में महीने के आधार पर अब तक का सबसे ज्यादा वैश्विक सतही तापमान दर्ज किया गया। यह पिछली सदी के औसत 12.2 डिग्री सेल्सियस से 1.27 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। यह लगातार 8वें महीने में सबसे ज्यादा है, क्योंकि पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में अल नीनो की स्थिति बनी हुई है। एनओएए के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र के अनुसार ये स्थितियां अप्रैल-जून 2024 तक रहेंगी। यह परिस्थिति इसे अब तक का सबसे गर्म जनवरी महीना बनाती है, जो रिकॉर्ड गर्मी का लगातार आठवां महीना है। यह सबसे ज्यादा बारिश वाली दूसरी जनवरी भी थी।


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