सिर्फ 22 साल की उम्र में बने आईएएस मयूर दीक्षित डी एम हरिद्वार!स संपादक शिवाकांत पाठक,,!
हरिद्वार धरम नगरी में चार्ज सँभालते ही बहुत कुछ लोंगो के बीच चर्चायेथीं कि धार्मिक पर्बो में उमड़ने वाली भीड़ को काबू करने में शायद श्री दीक्षित को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन, आई ए एस बनने के लिये कड़ी मेहनत लगन, के साथ ही ईश्वरीय अदृश्य शक्तियों का भी अहम योगदान होता है क्योकि यह संसार एक नाट्य मंच है यहाँ पर आने के पहले ही सब कुछ सुनिश्चित हो जाता है,, हालांकि मानव जीवन के सम्पूर्ण चक्र में कर्मो का विशेष महत्वपूर्ण स्थान होता है,,
जिसे प्रारब्ध कहते हैँ,,मयूर दीक्षित ने हरिद्वार की कमान सँभालते ही अवैध अतिक्रमण, वर्षो से कुंडली मारे कर्मचारियों, जमीनी मामलों, अवैध खनन आदि को लेकर जो शख़्ती दिखाई उसे देख हरिद्वार की जनता को पूर्ण विश्वास हो गया है कि वास्तव में श्री दीक्षित धरम नगरी को एक नई दिशा प्रदान करेंगे,, वैसे भी इस समय पर जन चर्चा है कि आज आम जनमानस अपनी बात को लेकर जिलाधिकारी के समक्ष जा सकता है,, जो कि एक ऐतिहासिक सुअवसर है पहले नहीं देखा गया,, भारतीय इतिहास में जिन राजाओं में अभिमान नहीं रहा वे आज भी जनता ही नहीं अतीत में अविस्मरणीय हैँ,, पद तो समाज कि सेवा का एक शुभ अवसर होता है जिसे अभिमान वस लोग गवाँ देते हैँ,,,कावड़ मेले को सकुशल सम्पन्न कराने हेतु एस एस पी प्रमेन्द्र डोभाल एवम जिलाधिकारी पूरी तरह से एलर्ट देखे जा रहे हैँ,,!
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( लेकिन महज 1 साल में छोड़ दी थी नौकरी )
वहा पर काम करने के बाद इनको पब्लिक डीलिंग और मैनेजमेंट की अच्छी समझ हो चुकी थी। इसके बाद इन्होने नौकरी के साथ साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी। सन 2012 में UPSC की परीक्षा पास कर आईएएस बनने का सपना पूरा किया।
प्रिंसिपल को ससपेंड कर चर्चा में आये आईएएस मयूर
इनको अक्सर काम को लेकर काफी एक्टिव देखा जाता है , जरुरत पड़ने पर वो कड़ा एक्शन लेने में देर नहीं लगाते। हाल ही में रूद्र प्रयाग के जखोली ब्लॉक में राजकीय इंटर कॉलेज क्वीलाखाल के प्रिंसिपल पर नशे में धुत होकर छात्रों और स्कूल स्टाफ से बदसलूकी करने का आरोप लगा है।
इस मामले की शिकायत मिलते ही आईएएस मयूर दीक्षित ने प्रिंसिपल को तत्काल ससपेंड करने का आदेश दे दिया। इतना ही नहीं उन्होंने इस मामले में जांच करके 3 दिनों के अंदर रिपोर्ट भी देने को कहा है।
उन्होंने कहा की प्रिंसिपल की इस तरह की घटना माफ़ी के लायक नहीं है। अगर जांच में आरोप सही पाए गए तो प्रिंसिपल के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होगी।
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