गौर करें, राजा का कर्तव्य क्या होता है जो आप देख रहे हैं! हरिद्वार!

 






स. संपादक शिवाकांत पाठक!



 प्राचीन काल में छोटे छोटे राज्य हुआ करते थे जहां पर राजाओं का साम्राज्य हुआ करता था उनमें से कुछ चक्रवर्ती सम्राट या नरेश कहलाते थे बस उसी प्रकार से समय के साथ साथ व्यवस्था में बदलाव हुआ व छोटे छोटे राज्य को व्यवस्थित करने के लिए जिलाधिकारी नियुक्त किए गए व चक्रवर्ती सम्राट को प्रधान मंत्री कहा गया अब यहां गौर करें धर्म नगरी हरिद्वार पर , जहां कि सिस्टम के तहत समय समय पर अधिकारी आए व स्थानांतरित भी हुए लेकिन कुछ अधिकारी कर्मचारी अपनी इमानदारी की छाप छोड़ जाते हैं कुछ जिम्मेदार अधिकारी अपनी एक अलग पहचान जनता के बीच बनाने में कामयाब हो जाते हैं लेकिन कार्य करने का तरीका सभी का अलग अलग होता है ,एस डी एम कुसुम चौहान जिन्होंने रात्रि में महिला होकर भी खनन माफियाओं की नींद हराम कर दी उन्हें लोग कैसे भुला सकते हैं इसी प्रकार जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय का कार्य करने अपना एक अलग तजुर्बा है उन्होंने आते ही जानता की समस्याओं के समाधान  पर ध्यान दिया अधीनस्थों को शख्त निर्देश दिए आज परिणाम सामने है जिसे न्याय के लिए दर दर भटकना पड़ रहा था कम्पनी के एम डी सैलरी नहीं दे रहे थे उस बेटी को सैलरी मिल जाने पर उसकी आत्मा आज क्या कह रही होगी सोच कर देखो आज जनता दरबार जो कि बंद था लगने लगा , जिलाधिकारी ने व्हाट्सएप नम्बर जारी कर दिया जिससे कि आम जनता शिकायत कर सके साथ ही समाधान के लिए भी मजबूत व्यवस्था बनाई !

अब आप देखे की देश, प्रदेश या जिले के राजा का धर्म क्या है!



क्रियैकदेशबोधीनि शास्त्राण्यन्यानि संति हि।।४।।

सर्वोपजीवकं लोक स्थिति कृन्नीतिशास्त्रकम्।

धर्मार्थकाममूलं हि स्मृतं मोक्षप्रदं यतः।।५।।शुक्रनीति 

अर्थ - नीतिशास्त्र से अन्य जितने शास्त्र हैं वे सब व्यवहार के एक अंश को बतलाते हैं किन्तु सभी लोगों का उपकारक,समाज की स्थिति को सुरक्षित रखने वाला नीतिशास्त्र ही है क्योंकि यह धर्म,अर्थ तथा काम का प्रधान कारण और मोक्ष को देनेवाला कहा हुआ है।

भारतवर्ष प्राचीन काल से ही राजऋषियों द्वारा रक्षित,पालित,पोषित और सेवित रहा।धर्मानुकूल आचरण करनेवाले राजाओं ने नीतिशास्त्र के अनुकूल राज्यव्यवस्था चलाने का कार्य किया।

भारत मे रघुवंशी श्रीराम के शासन को आदर्श शासन माना जाता है और उनका अनुसरण करते हुये अनेक प्रतापी

राजाओं ने भारत पर शासन किया यह व्यवस्था सहस्त्रों वर्षों तक अनवरत चलती रही।

वर्तमान समय मे ८वीं शताब्दी के काल खण्ड से भारत मे इस्लामी आक्रान्ताओं के भारत के विभिन्न भागों पर शासन व्यवस्था स्थापित करने और उनके पश्चात अंग्रेजी आक्रान्ताओं के कारण यह भारतीय शासन प्रणाली बहुत अधिक क्षतिग्रस्त हुई। वर्ष १९४७ मे स्वतंत्रता के साथ भारत ने दो पीडा भोगी प्रथम भारत का विभाजन और दूसरा भारतीय शासन प्रणाली का पूर्णतया अन्त और पश्चिम के विचार और आचरण वाली गणतंत्र प्रणाली की भारत मे स्थापना।

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