जन उपेक्षा का कारण सत्तामद या अधिकार मद
वी ऐस इंडिया न्यूज लाइव परिवार हरिव्दार उत्तराखंड! जन उपेक्षा का कारण सत्तामद या अधिकार मद? अक्सर देखने में आता है कि सत्ता मद में समाज सेवी सफेदपोश नेता व अधिकार मद में अधिकारी यह भूल जाते हैं कि वास्तविकता में उनका उत्तरदायित्व होना क्या चाहिए जनता के प्रति क्यों कि कभी फिरंगियों की तो कभी मुगलों की गुलामी करने वाली जनता को जब आजादी का नाम देकर सिर्फ गुलामीं का तरीका बदलने का ढोंग रचा गया तो जनता नहीं समझ पाई कि आखिर हम आजाद हैं या सिर्फ गुलामी का तरीका बदला गया हैं टेक्स फिरंगी लेते थे वह आज भी है मकान, रोड , इनकम, आदि आदि अब ऐक बात सोचने की है कि यदि ऐक विजनेस करने वाले को इनकम पर टैक्स देना होता है तो नुकसान पर उसे टेक्स लेने वाली सरकारें क्या राहत देतीं हैं ? नहीं परन्तु क्यों बात तो बराबर होना चाहिए ना यह है फिरंगी नियमावली जिसमें अर्गेजो की खिलाफियत करने वालों की आवाज बल पूर्वक दबाने के लिए पुलिस बिभाग का गठन किया गया अर्गेजो से पूर्व यदि हिंदुस्तान में पहले कभी भी पुलिस को किसी ने देखा हो तो बताये सर्व प्रथम 1986 में गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस ने कलकत्ता, ढाका, पटना तथा मुर्शिदाबाद चार अधीक्षकों के आधीन पुलिस रखी गई ! आज के दौर में आप देख ही रहे हैं कि किस बिभाग का कैसा व्यवहार जनता के साथ किया जा रहा है अधिकारियों व्दारा जनता का फोन ना रिसीव करना व जनता से दूरी बनाना जन शिकायतों की उपेक्षात्मक कार्यशैली क्या वर्तमान सरकार को लगातार मिल रही हार का नतीजा नहीं है इसमें कार्यकर्ता या संम्बधित पार्टी के पदाधिकारी नहीं वल्कि सिस्टम जिम्मेदार है आखिर जनता का फोन रिसीव ना करना किस बात का संकेत है की गई शिकायतों का निस्तारण ना होना व ठंडे बस्ते में डाल देने के परिणाम क्या हो सकते हैं वही सब हो भी रहा है बात हरिव्दार उत्तराखंड की नहीं समूचे देश की यही कहानी है! भगवान ही मालिक है इस देश का!
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