पत्रकार की शिकायत ठंडे बस्ते में क्यों?
पत्रकारिता का भविष्य खतरे में है मिलने वाली धमकियों पर पुलिस मौन! हरिद्वार! मोहसीन अली जिला ब्यूरो चीफ! भूमाफिया के कथित पुत्र शिवम शर्मा पुत्र कृष्ण पाल शर्मा हेत्तमपुर रोशनाबाद हरिद्वार व्दारा दिनांक 02-02-2020 को समाचार के प्रकाशन पर हुई सीलींग की कार्रवाई से बौखलाये प्रौपर्टी डीलर की शय पर दी गई हत्या की धमकी व कार को स्कूटी पर टक्कर मारने की धमकी से संबंधित प्रार्थना पत्र कोर्ट चौकी व्दारा ठण्डे बस्ते के हवाले किया जाना बेहद शर्मनाक विषय है जिसपर कि अभी हाल ही में दिनांक 06-02-2020 की रात्रि पीड़ित पत्रकार व्दारा दूरभाष पर ऐस ऐस पी हरिव्दार को अवगत कराये जाने पर तत्काल सीओ हरिव्दार को आदेशित भी किया गया तथा सी ओ मैडम पूर्णिमा गर्ग ने गंम्भीरता से मामला लेते हुये कोर्ट चौकी प्रभारी को भी कार्यवाही हेतु कहा लेकिन वाह री हमारे देश की धक्का मार व्यवस्था अभी तक कोई भी कार्यवाही ना कर हत्या का इन्तजार किया जाना व प्रार्थना पत्र ठंडे बस्ते में डालना क्या चौथे स्तंभ का चीरहरण साबित नहीं होता! पत्रकारिता को जहां लोकतंत्र के चौथे सत्तंभ का दर्जा दिया गया है। वहीं पत्रकारों को कलम का सिपाही भी कहा जाता है। परन्तु चौकी इंचार्ज का साहस भी सराहनीय है क्यों कि आम जनता की शिकायते ठंडे बस्ते में डालना तो आम बात है परन्तु ऐस ऐस पी हरिव्दार के आदेश को ठंडे बस्ते डालने का काम में कोई जाबाज साहसी ही कर सकता है फिर लोकतंत्र की हिफाजत करने के लिए तत्पर रहने वाले पीछे कैसे रह सकते हैं! ठंडे बस्ते का इतिहास बहुत ही पुराना व पौराणिक है कोई नई बात नहीं है ऐक घटना महाभारत में घटित हुई अर्जुन से उर्वसी अप्सरा ने प्रणय निवेदन किया परन्तु अर्जुन ने उसे ठुकरा दिया क्यों कि अर्जुन वीर व साहसी पुरूषों में गिने जाते थे लेकिन वे यह भूल कर गये कि उर्वसी के पास भी ऐक महान शक्ति थी वह थी श्राप देना बस उसने अर्जुन को नपुंसकता का श्राप दे डाला, शक्ति का दुरूपयोग करने का यह फारमूला ऐतिहासिक है कोई नई बात नहीं है किसी पावर का सदुपयोग यदि प्रसाशन पूरी तरह करे तो कोई भी न्याय से वंचित नहीं रह सकता हंसता खेलता परिवार सिसकियों में नहीं बदल सकता परन्तु बात तो ठंडे बस्ते की है वह ऐक वर्ष के लिए ठंडे बस्ते में डाल दी गई क्यों कि उर्वसी ने ऐक वर्ष तक नपुंसकता का श्राप अर्जुन को दे दिया था, अर्जुन की कोई भी शक्ति पराक्रम काम नहीं आया तो चौथा स्तंभ कर भी क्या सकता है, वहीं ऐक और भी उदाहरण मिलता है जब बालि को भगवान राम ने मार दिया तो सुग्रीव सत्ता मद में यह भूल गया कि उसने राम से सीता को खोजने का वचन दिया था यानी कि उसने किये हुये वादे को ठंडे बस्ते में डाल दिया था फिर तो राम का आदेश ही लक्छमण के लिए काफी था और लक्छमण के क्रोध के आगे सुग्रीव को हार मानना ही पड़ी व गलती स्वीकार करते हुए तुरन्त माँ सीता की खोज के लिए वानर सेना को आदेश दिया ,बस यही सब हो रहा है वर्तमान में बात तो साहस की वीरता व हिम्मत की है जो कि बड़े बड़े आदेशो को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है वरना कमजोर लोंगो की औकात ही क्या है? आप जरा सोचें भारतीय संविधान चार खंम्भो पर आधारित है सिर्फ संविधान ही नहीं वल्कि कुर्सी ,बैड, मकान में भी चार पाये या स्तम्भ होते हैं ऐक पाया तोड़ दें फिर क्या होगा बस यही तो सच्चाई बताने का प्रयास कर रहा हूँ कि पत्रकार शासन, प्रसाशन , व समाज की सारी खबरें प्रकाशित कर सभी को रूबरू कराता है उसके बदले में गैर कानूनी काम करने वाले लोग जिनकी पकड़ ठंडे बस्ते तक होती है उनके व्दारा हत्या कि पहले धमकी दी जाती है लेकिन यदि वह फिर भी राष्ट्र व जन विरोधी ताकतों को नजर अंदाज कर प्रकाशन करता है तो उनकी हत्यायें होना आम बात हो गई है, यह बड़े शर्म की बात है हम लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए व संविधान के अनुच्छेद (19) के तहत विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन के लिए!
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