भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत प्रदत्त वाक्-स्वातंत्र्य पर हमला करने वाला कौन है,,,? पेंटागन मॉल हरिद्वार उत्तराखंड।

 



स.संपादक शिवाकांत पाठक।

( जो लोग मॉल के निजी स्वार्थ से जुड़े हुए हैं इनके अलावा बाकी लोग क्या अभिव्यक्ति की आजादी नहीं रखते )


हरिद्वार से  संदीप पाठक की रिपोर्ट,,,,

पेंटागन मॉल हरिद्वार में बेखौफ अंदाज से लगाए गए पर्चे जिसमे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1 ) (a) के तहत मिली अभिव्यक्ति की आजादी का पूरी तरह से खंडन करते हुए भारतीय संविधान का मजाक उड़ाया गया है,, इससे यह जाहिर होता है कि पूंजीवाद के चलते अब वर्तमान में भारतीय संविधान के अस्तित्व पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं,, भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में आज तक किसी भी व्यापारिक प्रतिष्ठान में इस तरह की छिछोड़ी हरकत देखने को नहीं मिली तो फिर ऐसा दुस्साहस करने की हिम्मत के पीछे रहस्य क्या है,, क्या पेंटागन मॉल में चल तमाम अवैधानिक कार्यों को अनदेखा करने वालों की कोई साजिश है,, या फिर वास्तव में हरिद्वार जिला प्रशासन को इस बात की जानकारी नहीं है,, कि पेंटागन मॉल में पार्किंग चेक पोस्ट पर लगाए गए पर्चे में क्या लिखा गया है,,


हम बताते हैं कि उस पर्चे में क्या लिखा है जिसे कि फ़ोटो कॉपी करवाकर किसी पत्रकार संगठन द्वारा मॉल के जिम्मेदार को उपलब्ध कराया गया है,, और एक जिम्मेदार पत्रकार द्वारा निर्भीकता के साथ स्पष्ट किया जा रहा है कि बाकी सब फर्जी हैं। 


हरिद्वार जिला प्रशासन कृपया ध्यानाकृष्ट करने का कष्ट करे 

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तो फिर साफ जाहिर है कि भारतीय संविधान में मिली अभिव्यक्ति की आजादी जो की हर भारतीय का मौलिक अधिकार है जिसमे प्रेस का जिक्र भी नहीं किया गया है,, उस आजादी पर कुठाराघात किया जाना तमाम जिम्मेदारों के कर्तव्यों एवम उत्तरदायित्वों पर बहुत बड़ा सवाल है,,,


इन सभी बातों को मध्य नजर रखते हुए प्रेस पत्रकार एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष शिवाकांत पाठक ने रोशनाबाद जिला सत्र न्यायालय में जनहित में सुनवाई हेतु एक याचिका दायर करने हेतु एक बैठक के दौरान निर्णय लिया है,, शीघ्र ही विद्वान न्यायाधीश द्वारा इस मामले को गंभीरता पूर्वक लेते हुए भारतीय संविधान की मर्यादा को कलंकित करने वालो के विरूद्ध न्यायायिक प्रतिक्रिया अपनाई जाएगी।


संविधान में प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लेख नहीं किया गया है। हालाँकि, प्रेस या मीडिया की स्वतंत्रता भारत के संविधान द्वारा अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत प्रदत्त वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य के अधिकार में निहित है। यह स्वतंत्र पत्रकारिता को प्रोत्साहित करता है और लोगों को सरकार के कार्यों के पक्ष या विपक्ष में अपनी राय देने का अवसर देकर लोकतंत्र को बढ़ावा देता है।

मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा ,,के अनुच्छेद 19 में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है; इस अधिकार में बिना किसी हस्तक्षेप के मत प्रकट करने तथा किसी भी मीडिया के माध्यम से और सीमाओं की परवाह किये बिना सूचना एवं विचार की मांग करने, प्राप्त करने और प्रदान करने की स्वतंत्रता शामिल है।

हालाँकि, राष्ट्र और इसकी अखंडता की रक्षा के लिये अनुच्छेद 19(2) में कुछ प्रतिबंध भी लागू किये गए हैं।


सिर्फ समाचारों हेतु सम्पर्क करें संपर्क सूत्र,, 9897145867





संविधान में प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लेख नहीं किया गया है। हालाँकि, प्रेस या मीडिया की स्वतंत्रता भारत के संविधान द्वारा अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत प्रदत्त वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य के अधिकार में निहित है। यह स्वतंत्र पत्रकारिता को प्रोत्साहित करता है और लोगों को सरकार के कार्यों के पक्ष या विपक्ष में अपनी राय देने का अवसर देकर लोकतंत्र को बढ़ावा देता है।

मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा ,,के अनुच्छेद 19 में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है; इस अधिकार में बिना किसी हस्तक्षेप के मत प्रकट करने तथा किसी भी मीडिया के माध्यम से और सीमाओं की परवाह किये बिना सूचना एवं विचार की मांग करने, प्राप्त करने और प्रदान करने की स्वतंत्रता शामिल है।

हालाँकि, राष्ट्र और इसकी अखंडता की रक्षा के लिये अनुच्छेद 19(2) में कुछ प्रतिबंध भी लागू किये गए हैं।

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