नवोदय नगर हरिद्वार में धूम धाम से मनाया गया रक्षा बंधन पर्व,,,।
अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है रक्षा बंधन पर्व पढ़िए क्यों मनाते हैं,,?
स.संपादक शिवाकांत पाठक।
नवोदय नगर हरिद्वार में भी रक्षा बंधन पर्व को धूम धाम से मनाया गया बहिन पूजा चंदेल ने भानु प्रताप भईया को पवित्र रक्षा सूत्र बांध कर मंगल टीका लगाया,,, साथ ही तपस्या आरुषि गणेश एनक्लेव ने अपनें भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र बांध दिया।छोटी छोटी बहिनों ने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध कर मस्तक पर मंगल टीका लगाया और उनके दीर्घायु की कामना करतें हुए मुंह मीठा कराया।
वैसे तो वामन रुप धारी भगवान विष्णु ने राजा बलि की रक्षा हेतु वचन दिया था,, और वह आज भी निभा रहे हैं,, लेकिन यहां भाई बहिन के अटूट प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए रक्षा बंधन की बात है,, तो इसकी शुरुआत कैसे हुई,,? पढ़िए,,
रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा की चर्चा महाभारत से आती है। जहां भगवान कृष्ण को द्रौपदी द्वारा राखी बांधने की कहानी है। भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से चेदि नरेश शिशुपाल का वध कर दिया था। इस कारण उनकी अंगुली कट गई और उससे खून बहने लगा। यह देखकर विचलित हुई रानी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर कृष्ण की कटी अंगुली पर बांध दी। कृष्ण ने इस पर द्रौपदी से वादा किया कि वे भी मुश्किल वक्त में द्रौपदी के काम आएंगे। पौराणिक विद्वान, भगवान कृष्ण और द्रौपदी के बीच घटित इसी प्रसंग से रक्षा बंधन के त्योहार की शुरुआत माना जाता है। कहा जाता है कि कुरुसभा में जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, उस समय कृष्ण ने अपना वचन निभाया और द्रौपदी की लाज बचाई थी। आज वर्तमान समय में मानवीयता का गिरता हुआ स्तर बेहद सोचनीय विषय है,, बहिनों और नन्ही बेटियों के साथ होने वाली दर्दनाक भयावह घटनाएं दिल को झझकोर देती हैं,, विकास की आंधी दौड़ में आखिर कहां खो गई है हमारी संस्कृति सभ्यता ,, क्या वास्तव में नारियों के साथ बढ़ते हुए अपराध मानव सभ्यता पर प्रश्न चिन्ह साबित होते हैं,।
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