पत्रकारों से रूबरू हुए एस एस पी हरिद्वार । हरिद्वार।
स.संपादक शिवाकांत पाठक।
( एस एस पी प्रमेंद्र डोभाल से रूबरू हुए धरम नगरी हरिद्वार के पत्रकार )
धरम नगरी हरिद्वार के लिए धार्मिक आस्था के प्रतीक पूर्णिमा,अमावस्या, स्नान के साथ साथ सबसे बड़ी चुनौती कावड़ मेले के रुप में सामने आती है जिसे स्वीकारते हुए अपनी दूरगामी सोच एवम सूझबूझ से कुशल नेतृत्व कर शान्ति पूर्ण ढंग से कावड़ यात्रा संपन्न कराने हेतु एस एस पी हरिद्वार तत्पर रहे,, इनके कुशल निर्देशन में जनपद हरिद्वार की पुलिस ने भी अपनें उत्तरदायित्वों का पूरे साहस और संयम के साथ जो निर्वाहन किया वह अद्भुत होने के साथ साथ ऐतिहासिक यादगार के रुप में देखा जायेगा,,
एस एस पी हरिद्वार ने पत्रकारों द्वारा दागे गए सवालों के गोलों का समुचित उत्तर देते हुए सभी को हैरत में डाल दिया, आज पत्रकारों की एक मुलाकात के दौरान कावड़ मेले की कुशलता पर गहन विचार विमर्श किया गया जिसमे प्रमुखता के साथ कावड़ मेले में आने वाले कावड़ियों के बीच छुपे कुछ असामाजिक तत्वों पर की जानें वाली चर्चा आज की पत्रकार वार्ता का केंद्र बिंदु साबित हुई,, श्री डोभाल ने स्वीकारते हुए कहा कि हां कुछ असामाजिक तत्वों का कावड़ियों के बीच छुपे होना साथ ही अशांति पूर्ण माहौल पैदा करना एक चिंता का विषय है,, ऐसे हालातों में हरिद्वार पुलिस द्वारा संयम रखते हुए धैर्य का जो परिचय दिया गया वह प्रसंशा के काबिल है,,, आगे ऐसी ही रणनीति तैयार की जाएगी ताकि आस्था की आड़ में कोई भी अप्रिय घटना का उदय ना हो सके,, श्री डोभाल ने कहा कि उत्तराखंड अति प्राचीन ऋषियों मुनियों की तपो भूमि है ,, यह ना सिर्फ़ भारत अपितु संपूर्ण विश्व के लिए आस्था का केंद्र बिंदु साबित होती,, यहां पर आने वाले सभी श्रृद्धालुओं का मैं उत्तराखंड एवम हरिद्वार पुलिस कि ओर से स्वागत और आभार व्यक्त करता हूं,,
पत्रकारों द्वारा यह भी कहा गया कि इस वर्ष कावड यात्रा के दौरान किसी भी तरह से जाम की समस्या उत्पन्न ना होना भी निसंदेह एस एस पी हरिद्वार की कार्य कुशलता का परिणाम सिद्ध होता है।
खोए हुए पर्स और डूबते हुए भक्तों को बचाने में भी हरिद्वार पुलिस ने जाबाजी के साथ साथ मानवता का जीता जागता उदाहरण प्रस्तुत किया है जो अविस्मरणीय रहेगा,,,
अपनी बात 👇
आस्था की आड़ में किए गए असंतोष जनक कार्य एक बार भारतीय संस्कृति और सभ्यता को फिर से शर्मसार करते हैं,, जब पूरी धरम नगरी भोले शंकर के जय कारों से गूंजती हो तो ऐसे में किसी भी भक्त द्वारा अशांति पूर्ण माहौल पैदा करना धार्मिकता के दायरे में नहीं आता,, क्यों कि आस्था का केंद्र बिंदु हरिद्वार में कावड़ मेले के अलावा भी बहुत से ऐसे महा पर्व आते हैं जब धरम नगरी में धार्मिक श्रधालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है,, उदाहरण के तौर पर मौनी अमावस्या स्नान,, गुरू पूर्णिमा स्नान के साथ साथ चारधाम यात्रा में भी हरिद्वार की एक अहम भूमिका रहती है ऐसे में कावड मेले के अलावा किसी महा पर्व पर उपद्रव की शर्मनाक घटनाएं नहीं देखी जाती हैं,, क्यों कि ईश्वर की भक्ति का समावेश होते ही विनम्रता का उदय होता है और भक्त का विनम्र एवम सरल होना स्वाभाविक होता है,, मीरा,, सूरदास, नरसी, भक्त प्रहलाद , सुदामा, आदि असंख्य भक्तों के चरित्र से हमको शिक्षा लेनी चाहिए,,
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