यथो नाम: तथो गुण: जैसा नाम वैसा काम किया राजीव शर्मा ने! नवोदय नगर हरिद्वार!

 


स. संपादक शिवाकांत पाठक!


अपने प्रतिद्वंदियों को परास्त कर नगर निकाय के चुनाव उपरांत विजयी हुए राजीव शर्मा ने सर्व प्रथम दीपक नौटियाल समाज सेवी को अपना चेयर मैन प्रतिनिधि स्वीकार करते हुए उन्हें सम्मानित किया,, क्यों ? यह एक राम और हनुमान की मित्रता का उदाहरण है,,,दीपक नौटियाल एक हारे हुए प्रत्यासी थे लेकिन व्यक्ति की सही पहचान करने की क्षमता हर एक व्यक्ति में नहीं होती। नगर पालिका अध्यक्ष राजीव शर्मा को सब कुछ ज्ञात हैकि कौन सत्य का दामन थाम कर उनके साथ है और कौन दिखावा कर रहा है ,, राजीव का अर्थ कमल होता है तभी तो भगवान श्री राम को राजीव लोचन कहा गया ,, भगवान  प्रभु राम शिव के अनन्य उपाशक हैं एक बार पूजा के समय उनके पास दस पुष्प थे जबकि वे ग्यारह पुष्प भगवान शिव को अर्पित करते थे ,, पूजा पूर्ण कैसे हो,, प्रभु राम सोचने लगे तभी उन्हें याद आया कि उन्हें कमल नयन भी कहते हैं और उन्होंने अपने तीर सेअपनी एक आंख निकाल कर भगवान शिव को समर्पित कर दी,, भगवान शिव तुरंत प्रकट हो गए और उन्होंने प्रभु राम की वन्दना की ,,


दीपक नौटियाल से जब कोई कहता है कि यह सड़क बनवाने के लिए आपका आभार प्रकट करता हूं,, तो बड़े सरल भाव से वे कहते हैं अध्यक्ष राजीव शर्मा जी का आभार प्रकट करिए उन्ही के सौजन्य से यह संभव हो सका है,, यह है निरभिमान रहकर समर्पण की भावना का जीता जागता उदाहरण,,,



जैसे प्रभु राम हनुमान जी से पूछते हैं कि इतनी विशाल व सुरक्षित लंका का दहन कैसे कर लिया तुमने,,


तो देखिए कितना सुंदर जवाब देते हैं वीर हनुमान जी 



साखामृग   कै    बड़ी    मनुसाई।

साखा   तें   साखा   पर   जाई ।।

नाघि    सिंधु   हाटकपुर    जारा।

निसिचर गन बधि बिपिन उजारा।।

सो   सब     तव   प्रताप   रघुराई।

नाथ   न   कछू   मोरि   प्रभुताई।।

ता कहुँ प्रभु कछु अगम नहिं जा पर तुम्ह अनुकूल।

तव  प्रभावँ  बड़वानलहि  जारि  सकइ खलु तूल।।



   अर्थात, मैं तो साखामृग (बंदर) हूँ, इस डाल से उस डाल पर जा सकता हूँ। अगर समुद्र लाँघकर लंका जलाई और राक्षसों का वधकर अशोकवाटिका जलाई तो इसमें मेरी कोई बड़ाई नहीं है। यह सब आपके प्रताप का फल है प्रभु। जिसपर आपकी कृपा हो राघव उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। आपके प्राभव से शीघ्र जलने वाली रुई भी बड़वानल (समुद्र के अंदर की भीषण आग) को समाप्त कर सकती है। 

            इसके बाद उन्होंने भगवान् श्री राम से माँगा,



नाथ भगति अति सुखदायनी। देहु कृपा करि अनपायनी।।


नाथ भगति अति सुखदायनी। देहु कृपा करि अनपायनी।।


(हे प्रभु !आपकी भक्ति अत्यंत ही सुख देनेवाली है। कृपा करके अपनी निश्चल भक्ति मुझे दीजिये। )

यह सुनकर श्रीराम अत्यंत प्रसन्न हुए और एवमस्तु कहते हुए इच्छित वरदान दिया।


मन  सांतोष  सुनत कपि बानी।

भगति  प्रताप  तेज बल सानी।।

आसिष  दीन्हि  राम प्रिय जाना।

होहु  तात  बल  सील निधाना।।

अजर अमर गुननिधि सुत होहु।

करहुँ  बहुत  रघुनायक  छोहू।।


   अर्थात, श्रीहनुमानजी के वचन जो भक्ति, प्रताप और तेज से पूर्ण थे, सुनकर माता सीता के मन में संतोष हुआ। उन्हें श्रीराम का प्रिय जानकर यह आशीर्वाद दिया कि हे पुत्र ! तुम बल और शील - सदाचार के भण्डार होओ। तुम अजर (जो कभी बूढ़ा नहीं होता), अमर (जिसकी कभी मृत्यु न हो) और गुणों की खान होओ। प्रभु श्रीराम का स्नेह तुम पर बहुत बना रहे।

   

चौपाई:

बार बार प्रभु चहइ उठावा ।

प्रेम मगन तेहि उठब न भावा ॥

प्रभु कर पंकज कपि कें सीसा ।

सुमिरि सो दसा मगन गौरीसा ॥1॥


सावधान मन करि पुनि संकर ।

लागे कहन कथा अति सुंदर ॥

कपि उठाइ प्रभु हृदयँ लगावा ।

कर गहि परम निकट बैठावा ॥2॥


कहु कपि रावन पालित लंका ।

केहि बिधि दहेउ दुर्ग अति बंका ॥

प्रभु प्रसन्न जाना हनुमाना ।

बोला बचन बिगत अभिमाना ॥3॥


साखामृग के बड़ि मनुसाई ।

साखा तें साखा पर जाई ॥

नाघि सिंधु हाटकपुर जारा ।

निसिचर गन बिधि बिपिन उजारा ॥4॥


सो सब तव प्रताप रघुराई ।

नाथ न कछू मोरि प्रभुताई ॥5॥


दोहा:

ता कहुँ प्रभु कछु अगम नहिं

जा पर तुम्ह अनुकुल ।

तब प्रभावँ बड़वानलहिं

जारि सकइ खलु तूल ॥33॥


   

चौपाई:

बार बार प्रभु चहइ उठावा ।

प्रेम मगन तेहि उठब न भावा ॥

प्रभु कर पंकज कपि कें सीसा ।

सुमिरि सो दसा मगन गौरीसा ॥1॥


सावधान मन करि पुनि संकर ।

लागे कहन कथा अति सुंदर ॥

कपि उठाइ प्रभु हृदयँ लगावा ।

कर गहि परम निकट बैठावा ॥2॥


कहु कपि रावन पालित लंका ।

केहि बिधि दहेउ दुर्ग अति बंका ॥

प्रभु प्रसन्न जाना हनुमाना ।

बोला बचन बिगत अभिमाना ॥3॥


साखामृग के बड़ि मनुसाई ।

साखा तें साखा पर जाई ॥

नाघि सिंधु हाटकपुर जारा ।

निसिचर गन बिधि बिपिन उजारा ॥4॥


सो सब तव प्रताप रघुराई ।

नाथ न कछू मोरि प्रभुताई ॥5॥


दोहा:

ता कहुँ प्रभु कछु अगम नहिं

जा पर तुम्ह अनुकुल ।

तब प्रभावँ बड़वानलहिं

जारि सकइ खलु तूल ॥33॥




Comments

Popular posts from this blog

कैसे बचेगी बेटियां,? नवोदय नगर में दिन दहाड़े प्रेमी ने गला रेत कर कर दी हत्या,! हरिद्वार,!

फुटबॉल ग्राउंड फेज 1 जगजीतपुर कनखल थाना क्षेत्र में घर में घुसकर बदमाशों द्वारा की गई मारपीट,,,!हरिद्वार,!

नवोदय नगर में घटी बहुत ही दुखद घटना!