रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है पुदीना, पढ़ें फायदे! डॉ महेंद्र राणा (जगजीतपुर, हरिद्वार)

 



स. संपादक शिवाकांत पाठक!

 


पुदीना पेट संबधी रोगों के लिए अत्यंत महत्व पूर्ण होता है पुदीने के ताजे पत्तों को मसलकर मूर्छित व्यक्ति को सुंघाने से मूर्छा दूर होती है। आंत्र कृमि में पुदीने का रस दें। अजीर्ण होने पर पुदीने का रस पानी में मिलाकर पीने से लाभ होता है। पेटदर्द और अरुचि में 3 ग्राम पुदीने के रस में जीरा, हींग, कालीमिर्च, कुछ नमक डालकर गर्म करके पीने से लाभ होता है,प्रसव के समय पुदीने का रस पिलाने से प्रसव आसानी से हो जाता है। बिच्छू या बर्रे के दंश स्थान पर पुदीने का अर्क लगाने से यह विष को खींच लेता है और दर्द को भी शांत करता है।




10 ग्राम पुदीना व 20 ग्राम गुड़ को 200 ग्राम पानी में उबालकर पिलाने से बार-बार उछलने वाली पित्ती ठीक हो जाती है।पेट की गर्मी को कम करने के लिए पुदीने का प्रयोग बेहद फायदेमंद है। इसके अलावा यह पेट से संबंधित अन्य समस्याओं से भी जल्द निजात दिलाने में लाभकारी है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। दिनभर बाहर रहने वाले लोगों को पैर के तलवों जलन की शिकायत रहती है, ऐसे में उन्हें फ्रिज में रखे हुए पुदीने को पीसकर तलवों पर लगाना चाहिए ताकि तुरंत राहत मिल सके। इससे पैरों की गर्मी भी कम होगी। सूखा या गीला पुदीना छाछ, दही, कच्चे आम के पने के साथ मिलाकर पीने पर पेट में होने वाली जलन दूर होगी और ठंडक मिलती है। गर्म हवाओं और लू से भी बचाव होता है।

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