कौन बचाएगा मानव जीवन का अस्तित्व चुप क्यों हो ?
स. संपादक शिवाकांत पाठक !!
आज कोराना नामक बीमारी ने विश्व में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है उसका बचाव मानव मस्तिष्क ने अपनी विचार शक्ति के अनुसार करते हुए उसकी दवा तैयार की तो प्रतियोत्तर में कोरोना ने अपना स्वरूप बदल दिया ब्लैक फंगस के रूप में आ गया किसी ने कहा चीन ने बनाया है तो किसी ने कुदरत का करिश्मा कह दिया जो भी है वह विश्व की मानव जाति को एक बार सोचने व अहंकार नष्ट करने के लिए ईश्वर की ही शक्ति है मनुष्य के हर गलत कामों का अंजाम है प्रकृति पर अपना आधिपत्य स्थापित करने की भूल का परिणाम है प्रकृति का कोप यानी गुस्सा जिसने सारी दुनियां के वैज्ञानिकों को पूरी तरह से नर्वस कर दिया है एक इसी प्रकार की घटना वीर हनुमान के साथ हुई थी जब सुरसा ने उनको खा जाने के लिए कहा व अपना रूप आकार बदलने लगी , लेकिन यहां पर यह गौर करने वाली बात है कि जब सुरसा अपना आकार बढ़ा रही थी तब हनुमान जी छोटे हो रहे थे लेकिन यहां पर चालाक, अभिमानी इंसान इस कुदरती कहर से निपटने के लिए तैयार है व बड़ा बनने के लिए हर उपाय कर रहा है लेकिन प्रकृति का दोहन, रिश्वत खोरी, चालाकी, मिलावट खोरी , झूठ, फरेब नहीं छोड़ना चाहता तो सोचो कैसे बच सकता है मानव जाति का अस्तित्व हम सच में ना अपने परिवार, समाज, देश के लिए वफादार रहे ना ही उसके जिससे हमारा जीवन है तो फिर कौन बचाएगा हमको जब बचाने वाला ही आज न्याय करने पर बैठा हो अब देखिए,,
जैसे-जैसे सुरसा मुख का विस्तार बढ़ाती थी, हनुमान जी उसका दूना रूप दिखलाते थे। उसने सौ योजन (चार सौ कोस का) मुख किया। तब हनुमान जी ने बहुत ही छोटा रूप धारण कर लिया॥
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