विश्व पर्यावरण दिवस सिर्फ बधाई का नहीं खतरे की चेतावनी है!

 

संपादक शिवाकांत पाठ


 आज हम भी सबसे पहले  विचार सूचक समाचार पत्र  हरिद्वार उत्तराखंड हैड आफिस लखनउ  प्रकाशन , कानपुर, उन्नाव, देहरादून लखनऊ सूचना एवम् प्रसारण मंत्रालय ,भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त परिवार की ओर से  सभी प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने वालों की तरह आप सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं प्रदान करते हैं ,यह तो आप सब जानते ही हैं कि आप  प्रकृति के सबसे शक्तिशाली  होने के बाद भी  सबसे मूर्खता पूर्ण कार्य कर रहे हैं जब को प्रत्येक जीव जंतु प्रकृति के साथ समरसता बना कर मैत्री भाव से जीवन बिता रहा है मनुष्य की जरूरतें कुछ इतनी ज्यादा हो चुकी है कि उसे प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने में तनिक भी संकोच नहीं होता वो पहाड़ को तोड कर , नदियों से खनन कर , वृक्षों को काट कर , कल कारखानों से दूषित पानी बहा कर  , अपने आप को दुनियां का मालिक समझ बैठा है वह सोचता है कि प्रकृति हमारे बाप दादा की विरासत है, लेकिन इसके परिणाम सिर्फ मानव जाति को नहीं वरन् सम्पूर्ण जीवों को भोगना पड़ रहा है ! जरा सोचिए,






जब यह पेड़ काटा गया होगा तो कितने परिंदे यानी पक्षी अपना घर उजड़ने के कारण रोए होगें चीखे होंगे चिल्लाने होंगे लेकिन जल्लाद इंसान कहां सुनता है किसी का दर्द वह तो अक्सीजन के लिए तड़फ कर जान दे सकता है लेकिन प्रकृति पर अत्याचार बंद नहीं कर सकता क्या आप जानते हैं यह पेड़ जो काट दिया गया वह 1000 लोगों को आक्सीजन देने की ताकत रखता है इस बात काटने वाला खुद को भगवान समझने वाला इंसान जनता है और जान बूझ कर किया गया गुनाह माफ नहीं किया जाता परिणाम आप सब देख ही रहे हैं!




दुनिया में कितने पेड़ होंगे? अब तक किसी को नहीं पता था। क्योंकि न किसी ने गिने, न रिकॉर्ड रखा। लेकिन पहली बार अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी ने पेड़ों की सही संख्या बताने का दावा किया है। रिसर्च रिपोर्ट के हवाले से। ‘नेचर’ जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में अभी 30 खरब 40 अरब पेड़ हैं। पूरी दुनिया में हर साल 15 अरब पेड़ काटे जा रहे हैं।







 यह आंकड़ा दुनिया की कुल आबादी का दोगुना है। दुनिया की जनसंख्या अभी 7 अरब से कुछ ही ज्यादा है।

कैसे निकाला गया आंकड़ा?

यूनिवर्सिटी का दावा है कि आंकड़े लंबी रिसर्च से निकले हैं, इसलिए सटीक हैं। रिसर्च करने वालों ने सैटेलाइट तस्वीरों, वन लिस्ट और सुपर कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से दुनियाभर में पेड़ों की संख्या का खाका खींचा है। दूसरी ओर, पौधे रोपने की रफ्तार हर साल सिर्फ 5 अरब ही है। इनमें भी कई रोपने के कुछ समय बाद ही मुरझा जाते हैं।

पेड़ कम होने का असर

येल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फॉरेस्ट्री एंड एन्वायरमेंटल स्टडीज में रिसर्चर थॉमस क्राउथर ने कहा, ''धरती पर पेड़ों की तादाद लगभग आधी हो चुकी है। इसका नतीजा हम देख रहे हैं। बरसात के मौसम में तेज गर्मी, गर्मी में ठंड और ठंड के मौसम में बरसात का सामना पिछले एक दशक से कर ही रहे हैं। विकास के नाम पर जंगलों के सफाए के दुष्परिणाम आने शुरू हो गए हैं।'' उन्होंने ने कहा कि एक समय यूरोप पूरी तरह जंगलों से ढंका हुआ था लेकिन आज हर तरफ खेत और घास के मैदान दिखते हैं। अभी दुनिया में एक व्यक्ति के हिस्से में करीब 422 पेड़ हैं। लेकिन इससे ज्यादा खुश नहीं हुआ जा सकता।

दो साल पहले क्या था आंकड़ा?

दो साल पहले भी एक आकलन किया गया था, जिसमें दुनियाभर में पेड़ों की संख्या 400 अरब बताई गई थी। लेकिन ताजा रिसर्च में ये संख्या 8 गुना ज्यादा है। हर साल 10 अरब पेड़  इमारती लकड़ी के लिए काटे जाते हैं। धरती से करीब आधे से अधिक पेड़ नष्ट हो चुके हैं।

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