सच है गौर से पढ़िए,,नांच मेरी बुलबुल तुझे पैसा मिलेगा !
स. संपादक शिवाकांत पाठक!
बुलबुल तो तभी नाचती है जब पैसा मिलता है वह बुलबुल कोई भी हो जब जहां जिसका काम होता है तब पैसे से ही बात बनती है वो चाहे सरकारी टेंडर हो या फिर ,,,,,,,, सोचिए जिसे सरकार सैलरी के अलावा स्वास्थ्य सुविधाएं, वाहन भत्ता सबकुछ दे रही है क्या वे सब ईमानदार हैं ? जवाब आप देंगे सवाल हम करेंगे जो कि हमारा अधिकार है बताएं?
शंखनांद की आवाज़ से भारत में जन चेतना जागृति हुई युद्ध फिर वही युद्ध जो पहले हुआ करता था राजतंत्र में लेकिन अब कुछ अलग ही है , लेकिन शंखनांद का मतलब तो चुनावी महाभारत का ऐलान हुआ बड़े बड़े महारथी तमाम तरह की शक्तियों व सुरक्षा कवच के साथ आमने सामने खड़े होकर युद्ध के लिए पराक्रम दिखाने लगे हैं जंग में चार नीतियां होती हैं शाम, दाम, दंड, भेद , अर्थात शामनीति में शत्रु पक्ष से मिलकर बातचीत से हल निकाला जाता है,
इसके बाद शुरू होती है दाम नीति पैसा बस यहां सारी समस्यायों का निराकरण हो जाता है तो फिर वहां चुनाव आयोग ने सख्ती कर रखी है कहीं भी कोई भी सीमा से अधिक धन यानी रुपया नहीं ले जा सकता छापा मारी शुरू हुई काफी रुपया आया पकड़ में लेकिन रुपया तो रुपया है भईया इसे कौन पकड़ पाया है आज तक , एक पल फुर्र हो सकता है और बिना रुपए के चुनाव होंगे कैसे ,?
जब हमारे भारतीय सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिख दिया है कि स्वारथ लाग करें सब प्रीति, सुर नर मुनि की याही रीति ! जब देवता, ऋषि मुनि, कोई काम बिना स्वार्थ के नहीं करते तो फिर बिना पैसे के बुलबुल कैसे बचेगी क्यों कि हर काम के लिए हमारे संविधान में व्यवस्था है जैसे चौथा स्तंभ जो कि अवैतनिक है लेकिन परजीवी व श्रमजीवी होने के नाते सबका साथ सबका विकास तो कर ही सकता है वरना बिना किसी वजह के कौन पूछता है इन बेचारों को ?
तो फिर नांच मेरी बुलबुल का मतलब है कि तमाम बेरोजगारों के लिए चुनाव एक वरदान साबित होता है जैसे मीडिया , फ्लेक्स बोर्ड, चुनाव निशान के स्टीगर, झंडे, बैनर, शराब के कारोबारियों के लिए आदि आदि तमाम तरह से यह चुनाव पांच वर्षों में काफी इनकम का श्रोत साबित होता है , एक बात बताओ कि जब चौथे स्तंभ यानी मीडिया को सरकार ने तो झुंजुना पकड़ा दिया बजाए जाओ टो फिर मीडिया करे भी तो क्या करे ?
आज की दिहाड़ी जहां भी पक्की हुई ले भाई कांग्रेस ने दी भा. ज. को टक्कर फिर दूसरे दिन कांग्रेस चारो खाने चित्त, जितना पैसा उतना काम लो भाई किसने कहा वोट की करो ऐसी चोट लौटे नहीं आदेश रानीपुर , क्यों कि सबका साथ सबका विकास ही तो कर सकती है मीडिया और क्या करे ? ज्यादातर समाचारों में सारे तथ्य लिखने के बाद भी समाचार में पीत पत्रकारिता झलकती है जानते हैं क्यों? क्यों कि मजबूर चौथा स्तंभ जिसके बारे में हमारी सरकारों ने आज तक सूझबूझ से काम नहीं लिया अपने दूर दर्सी निर्णय की मोहर चौथे स्तंभ की वास्तविक पीड़ा के निवारण पर नहीं लगाई बस यही बहुत बड़ी भूल करतीं रहीं सरकारें जिसका परिणाम भी आज सामने है!
बंदेमातरम , जय हिन्द
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