(जिंदगी का सच)

 




*यह हैं जिंदगी का सच , जो चाहा कभी पाया नहीं* ।



 *जो पाया कभी सोचा नहीं , जो सोचा कभी मिला नहीं* | 


*जो मिला रास आया नहीं , जो खोया वो याद आता हैं* , 


पर जो पाया संभाला जाता नहीं | क्यों कि अजीब सी पहेली हैं जिंदगी !

जिसको कोई सुलझा पाता नहीं | जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं हैं !


 क्योंकि झुकता वही हैं जिसमे जान होती हैं , अकड़ तो मुर्दे की पहचान होती हैं । 



जिंदगी जीने के दो तरीके होते है , पहला : जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो , दूसरा : जो हासिल हैं उसे पसंद करना सीख लो | 



जिंदगी जीना आसान नहीं होता , बिना संगर्ष कोई महान नहीं होता | जब तक न पड़े हथोड़े की चोट , पत्थर भी भगवन नहीं होता !



 जिंदगी बहुत कुछ सिखाती हैं , कभी हंसाती है तो कभी रुलाती हैं । पर जो हर हाल में खुस रहते है , जिंदगी उनके आगे सर झुकाती है!!


 चेहरे की हंसी से हर गम चुराओ , बहुत कुछ बोलो पर कुछ न छुपाओ |






 खुद न रूठो कभी पर सब को मनाओ , राज़ हैं ये जिंदगी का बस जीते चले जाओ | यही हैं जिंदगी का सच |


रचना= भास्कर चंद्रा संयोजक रत्ना फाउंडेशन ट्रस्ट हरीद्वार उत्तराखंड!

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