श्रमायुक्त के नोटिस को ताक में रख दिया सत्यम ऑटो ने ! रिपोर्ट मोहन तिवारी हरीद्वार!

 





स. संपादक शिवाकांत पाठक उत्तराखंड!


आपने सुना होगा सत्यम शिवम् सुंदरम यानि कि ईश्वर सत्य है, सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है लेकिन यहां बात कलयुग की हो रही है जहां पर यथा नमो तथा गुणों की कहावत चरितार्थ नहीं हो सकती नाम होता है नैनसुख लेकिन वह अंधा होता है हमने सुन्दरलाल नाम के लोग बदसूरती की सीमा पार करते देखे हैं बस यहां पर यही समझना मेरा मकसद है कि सत्यम ऑटो नाम रख लेने का तात्पर्य सत्य, या इमानदारी से नहीं है,, यह तो कम्पनी की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए धनार्जन हेतु बनाई गई स्कीम के तहत नामकरण संस्कार का प्रारूप है , क्यों कि जिस कम्पनी के लेवर (मजदूर) बिना किसी वजह के निकाल दिए जाए श्रम कानूनों के तहत उन्हें निकालने से पहले नोटिस के जरिए अवगत ना कराया जाए उस कंपनी के मालिक या जिम्मेदार लोगों की मानवीयता स्पष्ट झलक जाती है ! आप सोच कर देखिए विश्व में सभी कंपनियां केवल मजदूरों की मेहनत पर कायम हैं लेकिन जब शरीर का बोझ उठाने वाले पैरों में जूते फट जाए तो समझो कि इंसान खुदगर्जी की सभी सीमाएं पार कर चुका है !

सत्यम कंपनी के निष्कासित श्रमिकों के शिकायत पत्र पर सहायक श्रम आयुक्त हरिद्वार ने सत्यम कंपनी के कारखाना प्रबंधक को एक नोटिस जारी कर दिनांक 27/01/2022 को दोपहर 12:00 बजे अपने समक्ष उपस्थित होने को कहा था ।जिसमें कारखाना प्रबंधक श्री आर एन गॉड ने 3 से 4 हफ्ते का समय मांगा था समय पूरा होने के उपरांत सहायक श्रम आयुक्त हरिद्वार ने समय पूरा होने के पश्चात पुनः प्रबंधक को दिनांक 4/03/ 2022 को उपस्थित होने को कहा है। आगे देखिए ईमानदार श्रमायुक्त  की निष्पक्षता जीतेगी या फिर कम्पनी की हठधर्मिता यह फैंसला भविस्य के हांथ है लेकिन सच यही है कि हरिद्वार सिडकुल में मजदूरों के उत्पीड़न के मामले बेहद सोचनीय हैं !


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