फेफड़ों में जमे कफ एवं संक्रमण को बाहर निकालती है स्फटिका भस्म! डा. महेन्द्र राणा ! आरोग्य संस्थान जगजीत पुर हरिद्वार!
स. संपादक शिवाकांत पाठक!
देश के वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. महेंद्र राणा ने बताया कि स्फटिका भस्म कोरोना संक्रमित मरीज़ों के फेफड़े में तेज़ी से जमने वाले कफ को बाहर निकालने एवं फेफड़ों में ऑक्सिजन के स्तर को बढ़ाने में बहुत ही कारगर एवं प्रयोग सिद्ध औषधी है । भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड सरकार के बोर्ड सदस्य डा.राणा के अनुसार स्फटिक भस्म, फिटकरी की भस्म को कहते हैं।आयुर्वेद में इसे आंतरिक और बाह्य दोनों ही तरीकों से प्रयोग करते हैं। स्फटिक भस्म, को बहुत ही कम मात्रा में, डॉक्टर के निर्देशानुसार कफ रोगों, फेफड़ों के रोगों, दमा रोग जैसी श्वसन संस्थान की बीमारियों आदि में बहुत प्राचीन समय से प्रयोग करते हैं। इसे त्वचा रोगों, विसर्प, हर्पिज़ आदि में भी प्रयोग किया जाता है। स्फटिका भस्म के सेवन से कफ एवं वात संतुलित होते हैं।
स्फटिक भस्म बनाने के लिए फिटकरी के टुकड़े साफ़ कर लेते हैं। इसके छोटे छोटे टुकड़े कर मिट्टी के बड़े पेट वाले बर्तन में रख देते हैं। इसे गजपुट में डाल देते हैं। ठंडा होने पर इसे निकाल कर भस्म बना लेते हैं।
घर पर भस्म बनाने के लिए फिटकरी को तवा पर रखकर फुला लेते हैं जिससे इसकी खील बनाकर पीस लेते हैं और इसे 125 मिलीग्राम की मात्रा में दिन में ३ बार शहद अथवा गुनगुने पानी में घोलकर भस्म की तरह इस्तेमाल करते हैं।
स्फटिका भस्म के लाभ बताते हुए डा.राणा ने जानकारी दी कि आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान के अनुसार स्फटिका भस्म शरीर से कफ सुखाती है और यदि ज्यादा कफ से फेफड़े कठोर हो गए हों तो इसके सेवन से लाभ होता है।
स्फटिका भस्म एक निरापद औषधी है जिसे आप संक्रमण की प्राथमिक अवस्था में प्रयोग करके रोग को जटिल अवस्था में जाने से रोक सकते हैं ।
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