बाबा रामदेव पर नहीं भारतीय संस्कृति पर हमला! हरिद्वार!

 


 स. संपादक शिवाकांत पाठक!




हरिद्वार। एलोपैथी व एलोपैथी डॉक्टरों पर दिए गए बयानों को लेकर बाबा रामदेव पिछले कई दिनों से चर्चा में लाए जा रहे हैं इसमें कुछ पार्टी विशेष के दिलजले लोगों की अहम भूमिका है। वरना कौन नहीं जानता कि गुलामी के पहले हम भारत वासी थे अब इन्डियन हो गए हम जब पैदा हुए तब आयुर्वेद की गोद में ही सांस ली थी आयुर्वेद प्रकृति की देन है प्रकृति से दूर रहकर कौन जी सकता है कोई भी वैज्ञानिक डाक्टर जो ईश्वर को ना मानकर खुद को खुदा समझता है वह कुदरत की कोई भी चीज बिना इस्तेमाल किए यदि कोई भी दवा बना दे तो मैं ईश्वर की सत्ता को दी गई चुनौती स्वीकार कर लूंगा ? यहां पर मैं किसी भी पार्टी का ना तो पक्ष कर रहा हूं ना विरोध बस यही पूछना है कि एलोपैथ वाले क्या घरों में जीरा, हींग, हल्दी हरी सब्जियां या अन्य फल जो कुदरत ने पैदा किए हैं इस्तेमाल नहीं करते विरोध करते हैं क्या आयुर्वेद का भाई आयुर्वेद कुदरत में पैदा हुई हर चीज है  कुछ समय यदि अंग्रेजों ने यहां राज्य कर लिया तो क्या हम जिस कुदरत ने हमको पैदा किया उसे भूल कर अंग्रेज बन जाएं अंग्रेजी पढ़े अंग्रेजी दवा खाएं आयुर्वेद त्याग दे सब्जी अंग्रेजी दवाओं से बनाए लानत हैं इस तरह की पत्रकारिता पर लानत है सभ्यता व संस्कृति के जन्म दाता भारत देश में रहने वाले विदेशी मानसिकता के लोगों को शर्म तो बची ही नहीं क्यों कि सभी जानते हैं कि रामदेव बाबा ने स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ अभियान चलाया लेकिन कुछ विभीषणों को शायद यह नागवार गुजरा जिनका कोई आधार ही नहीं है बे पैदी के लोटे हैं कब कहां किसके पक्ष में बोलने लगें कोई पता नहीं तो एक बात बताओ ? क्या बाबा रामदेव का चरित्र सही नहीं है ? क्या कभी भी देश के खिलाफ उन्होंने कोई भी बात कही है? या फिर सिर्फ स्वदेशी अपनाओ का नारा हजम नहीं हो रहा , चाटुकार निराधार मीडिया लिख रही है की बाबा रामदेव ने कहा कि किसी के बाप में दम नहीं मुझे गिरफ्तार करने की , इस बात को तूल दिया गया अब एक बात बताओ मैं इस भारत देश के लिए समर्पित होकर बिना किसी अपराधिक कार्यों को करते हुए देश के साथ हूं और मैं जब कोई अपराध नहीं करता तो कह सकता हूं कि किसी के बाप में दम नहीं मुझे गीरिफ्तर करने की  आप भी कह सकते हो क्यों कि हमारा भारतीय संविधान प्रत्येक भारतीय को विचारों की अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान करता है लेकिन अफसोस है कि पत्रकारिता को ना समझने वाले लोगो को भी आज बेवजह प्रशासन की अनदेखी के कारण खुली आजादी मिली है जिसका वे दुरुपयोग कर रहे हैं ! कोरोना महामारी के बीच एलोपैथी और डॉक्टरों पर बयान के लिए बाबा रामदेव को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। लेकिन आलोचकों ने हमारे देश को आलोचनाओं की कभी कमी महसूस नहीं होने दी सोशल मीडिया पर रामदेव की जमकर किरकिरी हो रही है पीत पत्रकारिता से संबधित पत्रकारों द्वारा यह भी लिखा गया। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी रामदेव को इस तरह के बयानों से बचने की नसीहत देते हुए माफी मांगने के लिये पत्र भी लिखा है। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी रामदेव के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और आईएमए ने रामदेव के खिलाफ एक हजार करोड़ रूपये का मानहानि का केस ठोक दिया है ऐसा भी कहा जा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली स्थित एम्स के डॉक्टरों ने व देश के अन्य हिस्सों में डॉक्टरों ने रामदेव और पतंजलि के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया। सोशल मीडिया पर भी रामदेव के खिलाफ कुछ स्वार्थी लोगों द्वारा मुहिम चलाई गई है!

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