पंडित राकेश शर्मा के आकस्मिक निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित!
स. संपादक शिवाकांत पाठक!
ब्राम्हण कुल में जन्मे पंडित राकेश शर्मा जी एक प्रकांड विद्वान ब्राह्मणों में गिने जाते रहे समाज के हित सदैव तत्पर रहने व परिवार को एक जुट रखते हुए सदैव सामंजस्य स्थापित करने की प्रेरणा देने वाले राकेश जी की अकस्मात मृत्यु की खबर सुनते ही लोगों की आंखें नम हो गईं सरल स्वभाव के धनी होने के कारण समाज का प्रत्येक व्यक्ति उन पर आस्था रखता है
राकेश शर्मा जी कर्मकांडी ब्राम्हणों में अपनी पहचान बनाने के कामयाबी हासिल कर चुके थे वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ कर देवत्व को प्राप्त हुए जिसकी सूचना मिलते ही हरिद्वार में एक शोक सभा का आयोजन दिनांक 25 नवंबर की शाम किया गया तथा दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति हेतु व परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की याचना करते हुए सभी ने अश्रु पूरित श्रद्धांजलि अर्पित की !
सभा में उपस्थित पत्रकारों में शिवाकांत पाठक संपादक,मलखित राथौड़ , संजय पुंडीर, रणविजय सिंह, अभिषेक कुमार, संजय लांबा, ज्ञान प्रकाश पाण्डेय, गुलफाम अली, मोहसिन अली, अशोक चौहान आदि पत्रकार मौजूद रहे !
श्रीमद भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश """
उत्पन्नस्य विनाशो ध्रुवः अवर्जनीय उपलभ्यते। तथा विनष्टस्य अपि जन्म अवर्जनीयम्।
कथम् इदम् उपलभ्यते विनष्टस्य उत्पत्तिः इति।
अर्थात= क्योंकि पैदा हुएकी जरूर मृत्यु होगी और मरे हुएका जरूर जन्म होगा। इस (जन्म-मरण-रूप परिवर्तन के प्रवाह) का परिहार अर्थात् निवारण नहीं हो सकता। अतः इस विषयमें तुम्हें शोक नहीं करना चाहिये।
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