क्यों और कब रो पड़े थे भगवान श्री कृष्ण जानते हैं ?
स. संपादक शिवाकांत पाठक!
धर्मराज युधिष्ठिर ने अर्जुन को आदेश दिया कि जाओ राज्य में देखो कि कहीं कोई व्यक्ति दुखी या अभावग्रस्त तो नहीं है, यदि कोई ऐसा व्यक्ति मिले तो तुरंत उसकी सहायता करो।
अर्जुन भ्रमण करते हुए एक खेत पर पहुंचे तो उन्हें एक कमजोर ब्राह्मण अन्न के कण एकत्र करता हुआ दिखाई दिया। अर्जुन ने उससे कहा, ‘‘महात्मन्! धर्मराज युधिष्ठिर हमारे राजा हैं। वे साधु, ब्राह्मणों को पूरा सम्मान देते हैं, लगता है आपको अन्न के अभाव में दरिद्रता के दिन देखने पड़ रहे हैं। यदि आप कहें तो मैं धर्मराज से आपके लिए पर्याप्त अन्न की व्यवस्था करा दूं।’’
यह सुनकर ब्राह्मण रोने लगा।
अर्जुन के बार-बार पूछने पर भी उसने रोने का कारण नहीं बताया तो अर्जुन ने युधिष्ठिर के पास लौटकर ब्राह्मण के रोने की बात बताई, जिसे सुनकर युधिष्ठिर भी रोने लगे। अर्जुन यह देखकर और भी व्याकुल हो गए। वह सीधा भगवान श्री कृष्ण जी के पास जा पहुंचे तथा दोनों के रोने की बात बताई, जिसे सुनकर श्री कृष्ण भी रोने लगे।
भगवान श्री कृष्ण को रोते देखकर अर्जुन की व्याकुलता चरम पर पहुंच गई, वह उन्हें चुप कराने लगे। कुछ देर बाद श्री कृष्ण के चुप हो जाने पर अर्जुन ने सभी के रोने का कारण जानना चाहा तो श्री कृष्ण बोले, ‘‘ब्राह्मण तो यह सोचकर रोया कि वह तप से इतना हीन हो गया है कि उसे राजा से अन्ना की याचना करने की नौबत आ गई है। युधिष्ठिर इसलिए रोए कि उसका अन्न-द्रव्य साधु-ब्राह्मण स्वीकार करने को तैयार नहीं और मैं यह सोचकर रोया कि कलियुग में ऐसा समय आएगा कि राजा व अमीर लोग किसी की याचना या मांगने पर भी कुछ नहीं देंगे और साधु-ब्राह्मण अपमानित होने पर भी मांगने से हिचकिचाएंगे नहीं। आज आप देख भी रहे हैं वही सब हो रहा है तो फिर जिन पूर्वजों ने जो पहले ही बता दिया था बात तो उनकी ही सही है ! समाचारों के लिए संपर्क करें 8630065119,9897145867
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