सोचने और करने के बीच मर्जिन होने से समस्यारूपी विघ्न आ जाते है! मनोज श्रीवास्तव (सहायक सूचना निदेशक उत्तराखंड
स. संपादक शिवाकांत पाठक!
मेहनत तो बहुत करते है, मेहनत करने की इच्छा भी है और मेहनत का संकल्प भी करते है परन्तु रिजल्ट में अन्तर आ जाता है। प्रश्न है कि सुनते भी एक है सुनाते भी एक है विधि भी सबकी एक है, विधान भी एक है तब अन्तर क्यो आ जाता है।
यह अन्तर बहुत छोटा है। सोचते सब है, करते भी सब है, लेकिन कोई-कोई एक ही समय पर सोचते और करते है अर्थात इनका सोचना और करना साथ-साथ होता है। इसलिए यह सम्पन्न बन जाते है। कोई-कोई सोचते भी है करते भी है। लेकिन इनके सोचने और करने के बीच में मर्जिन रह जाती है।
सोचते बहुत अच्छा है लेकिन करते कुछ समय बाद है अर्थात उसी समय नही करते है। इसलिए संकल्प में जो उस समय की तीव्रता, उमंग उल्लास और उत्साह होती है वह समय का गैप होने से परसन्टेज में कम हो जाता है। ऐसे ही संकल्प में जो करते है उसी समय प्रैक्टिकल करते है उनके रिजल्ट में अन्तर आ जाता है। क्योकि मर्जिन होने से समस्यारूपी विघ्न आ जाते है। इसलिए सोचना और करना साथ-साथ हो। इसको कहते हुए तुरन्त दान महाकल्याण। अन्यथा महापुण्य के बजाय पुण्य प्राप्त होता है।
संपर्क सूत्र,9897145867,8630065119
Comments
Post a Comment