हरिद्वार कि बेटी का उत्पीड़न ,, ससुराल पक्ष द्वारा फिर शुरू !

 


 ( न्यायालय द्वारा अपराधियों पर सिकंजा कसने की तैयारी )



( देश में नम्बर वन है उत्तराखंड पुलिस जिसकी पकड़ से अपराधी बच नहीं सकता )

हरिद्वार के एक सीधेसादे शांति प्रिय ब्राम्हण परिवार के मुखिया ने अपनी बेटी की शादी शादी  विगत वर्ष पूर्व ,जहांगीर पुरी दिल्ली निवासी एक युवक के साथ अपने रिश्तेदारों की सलाह मसविरा से हिन्दू रीति रिवाज के साथ अपनी सामर्थ्य अनुसार की थी शादी के कुछ ही महीनों बाद उसके पति, ससुर, सास, देवर द्वारा बेटी का मानसिक शारीरिक उत्पीड़न दहेज की अनावश्यक मांग को लेकर किया जाने लगा जिसकी सूचना बेटी ने अपने पिता को दूरभाष पर दी बहुत ही दिल को दहला देने वाली हृदय विदारक बात सुन कर एक पिता पर क्या गुजरी होगी यह आप अंदाजा लगा सकते हैं , अपने फर्ज को अंजाम देते हुए पिता ने हरिद्वार में संबधित थाना कोतवाली में लिखित शिकायत की जब कार्यवाही नहीं हुई तो एक पिता को अपनी बेटी का जीवन बचाने के लिए न्यायालय की शरण लेना पड़ी और न्यायालय ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया क्यों कि दहेज को लेकर विवाहिता बेटी का उत्पीड़न का मामला था !


इसलिए इंडियन पैनल कोर्ट की धारा 498 ए के तहत मुकदमा संबधित थाने में दर्ज हुआ , मामला  जांच अधिकारी के सामने आया महालक्ष्मी के निर्देश पर  प्राथमिकी में दर्ज दो अभियुक्तों पर जांच अधिकारी की दया का समुंदर टूट पड़ा व दो अपराधी जांच में हटा दिए गए चार्टसीट माह अगस्त वर्ष 2021 में न्यायालय में दाखिल हुई लेकिन जांच के समय अपराधियों को पता चलने पर वे बेटी को मायके से अपनी गलती मान कर ले गए परन्तु वर्तमान में पुन: बेटी को यातनाएं देना प्रारंभ कर दिया जिसकी सूचना पाते ही पत्रकारों के एक दल ने जाकर न्यायालय की कार्यवाही को क्रियान्वित किया जिससे अपराधियों की धर पकड़ के लिए सुनिश्चित प्रतिक्रिया की रूप रेखा आज विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा तैयार की गई , यहां पर एक बात स्पष्ट रूप से सामने आ गई की अपराधी चाहे कितना भी चालक मौका परस्त क्यों न हो लेकिन कानून के शिकंजे से बचना मुश्किल ही नहीं बल्कि असम्भव है !



देखें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा 👇



धारा 498(ए) के प्रयोज्य होने के लिए यह आवश्यक है कि मानसिक और शारीरिक पूर्णता को स्पष्ट रूप से साबित किया जाए।

क्रूरता क्या होती है? इसके संबंध में भारत के उच्चतम न्यायालय ने इससे पूर्व के अनेक निर्णयों यह बताया है कि क्रूरता के असल अर्थ क्या है। दहेज की मांग क्रूरता है, मारपीट करना क्रूरता है, किसी महिला को उसके रंग रूप के संबंध में बार-बार टिप्पणी करना क्रूरता है, किसी महिला की जाति के संबंध में टिप्पणी करना क्रूरता है, उसके साथ गाली गलौज करना क्रूरता है।


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