लक्ष्मी प्राप्त करने के लिए कराएं हवन अवश्य होगी धन प्राप्ति! चेतन शर्मा!नवोदय नगर हरिद्वार !


सदैव साधना में लीन रहते हैं महराज




संपादक शिवाकांत पाठक!




हिंदू सनातन परंपरा में यज्ञ या हवन का बड़ा महत्व बताया गया है। हवन की अग्नि शुद्धिकरण का सबसे बड़ा माध्यम है। कुंड में अग्नि के माध्यम से देवी-देवताओं को हविष्य पहुंचाने की प्रक्रिया को हवन कहते हैं। हविष्य वह पदार्थ है जिनसे हवन की पवित्र अग्नि में आहुति दी जाती है।




पुरातन काल से ही किसी कामना की पूर्ति के लिए यज्ञ करने की परंपरा रही है। ऋषि-मुनि दिव्य दृष्टि प्राप्त करने, देवताओं को प्रसन्न करने, वर्षा कराने, राक्षसों का नाश करने जैसे अनेक कार्यों के लिए यज्ञ करते आए हैं। राजा-महाराजा अपने राज्य की खुशहाली, विस्तार और शत्रुओं से रक्षा के लिए यज्ञ करते थे।





अलग सामग्रियों की आहुति

जिस तरह वेदों में यज्ञ या हवन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है, उसी तरह ज्योतिष शास्त्र में भी हवन का उतना ही महत्व है। नवग्रहों की शांति के लिए तथा प्रत्येक ग्रह के मंत्र जप के बाद जप संख्या का दशांश हवन करने का विधान है। दरअसल हवन के बिना कोई भी पूजा, मंत्र जप पूर्ण नहीं हो सकता। विभिन्न ग्रंथों में यज्ञ पद्धति के संबंध में बताया गया है कि अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति के लिए हवन में अलग-अलग सामग्रियों की आहुति दी जाती है।



विशिष्ट वस्तु की आहुति

यदि सुख-समृद्धि की कामना के लिए हवन किया जा रहा है तो उसमें कोई विशिष्ट वस्तु की आहुति दी जाती है। आरोग्यता के लिए अलग सामग्री का प्रयोग किया जाता है तथा नवग्रहों की शांति के निमित्त किए जा रहे हवन में अलग तरह की सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। कामना के अनुसार हवन की पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ, जौ, तिल आदि की आहुति दी जाती है।


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