कौन सुनेगा लेखपालों की अंतर्व्यथा एस डी एम से लगाई गुहार! हरिद्वार!
संपादक शिवाकांत पाठक!
यदि किसी भी अत्याचार, उत्पीड़न, का विरोध ना किया जाए तो उसमें वृद्धि होना स्वाभाविक है ,, जैसे कि अंग्रेजो ने इस्टिंडिया कम्पनी से भारत में पकड़ बनाना शुरू किया और उनका विरोध न होने पर उनके साम्राज्य का विस्तार होता रहा, जब भारत के क्रांतिकारी वीरों ने विरोध करना शुरू किया तो उनके मंसूबों पर पानी फिर गया,, वही हाल आज लेखपालों का है,, नाम तो छोटा सा है परंतु काम यदि देखा जाए तो दुगनी सैलरी पाने वाले लोग नहीं कर सकते,, लेकिन फिर भी लेखपाल तमाम बातों को सहते रहे चुप रहे, क्यों कि अनुशासन सर्वोपरि है,, परंतु अनुशासन तब तक सर्वोपरि है जब तक कि किसी का मानसिक, शारीरिक, उत्पीड़न ना हो,, उत्तरांचल लेखपाल संघ उप शाखा,, तहसील हरिद्वार द्वारा एक प्रस्ताव पारित कर उप जिलाधिकारी हरिद्वार को प्रेषित किया गया ,, जिसमे कि उल्लेख किया गया कि एक ओर उत्तराखंड सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाए जानें हेतु हेल्प लाइन नंबर 1064 जारी कर जनता को जागरूक करने हेतु वी आई पी कल्चर को समाप्त करने का कार्य कर रही है जिसके चलते सभी महानुभावों द्वारा लाल, नीली, बत्तियों एवम तमाम सुविधाओं का त्याग कर दिया गया है परंतु बेहद दुर्भाग्य पूर्ण यह है कि जनपद की तहसील हरिद्वार में बेवजह राजस्व निरीक्षक एवम उप निरीक्षकों को वी आई महानुभावों की तमाम व्यवस्थाओं हेतु बाध्य किया जा रहा,, आखिर क्यों,,? केवल इतना ही नहीं वल्कि उन वी आई पी महानुभावों के रिश्तेदारों को भी वी आई पी सुविधाएं प्रदान करते हुए राजस्व निरिक्षक और उप निरीक्षक को तैनात कर दिया जाता है,, परिणाम स्वरूप स्वाभाविक है कि जनता एवम शासकीय कार्यों में व्यवधान उत्पन्न होता है, उत्तरांचल लेखपाल संघ उप शाखा तहसील हरिद्वार ने स्पष्ट किया कि संघ का कोई भी सदस्य प्रोटोकाल से भिन्न यानि हटकर आए किसी भी महानुभावों की व्यवस्था या ड्यूटी नहीं करवाएगा,, साथ ही तहशील हरिद्वार में पीने के पानी शौचालय आदि की उचित व्यवस्था ना होने पर भी प्रकाश डालते हुए असुविधाओं से अवगत कराया,,, जन्म मृत्यु के कोई भी अभिलेख ना होने पर भी लेखपालों से आख्या मांगी जाने वाली बात पर भी उन्होने बल दिया,, बात तो कहीं तक जायज भी है क्यों कि तमाम विभाग ऐसे हैं जिनके कर्मचारियों को बेवजह परेशान नहीं किया जाता है,, तो फिर आखिर लेखपाल को ही टारगेट क्यों किया जा रहा है यह विचारणीय विषय है,
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