क्या आप जानते हैं कि पिता और परमपिता में क्या अंतर है,,,?
स.संपादक शिवाकांत पाठक!
ईश्वर के बारे में वेदों में लिखा है कि एकोहम द्वितीया न अस्ति,, ईश्वर ने स्वयं कहा है कि मेरे शिवा दूसरा कोई नहीं है,, ठीक इसी तरह से यदि एक पिता कहे कि मेरे शिवा दूसरा कोई नहीं है,, तो यह बात कितनी सच होगी,, एक पिता से ही संपूर्ण परिवार का उदय होता है ,, पिता परिवार के प्रत्येक सदस्य की आत्मा होता है , क्यों कि पिता कभी नहीं चाहता कि उसके पुत्र,पुत्री, पत्नी दुखी रहें,, खुद को तमाम संकटों में डाल कर परिवार की खुशी के लिए जो मौन रहता है वह पिता होता,, पिता की इक्षा को भले ही सभी टाल दें परंतु परिवार में सभी की इक्षाओ की पूर्ति करने वाला पिता होता है,, पिता के ना होने पर परिवार अस्तित्व हीन हो जाता है,, ठीक इसी प्रकार से ईश्वर हमारा मूल मतलब यह है कि संपूर्ण विष्व का आधार और जन्म दाता है,, हमारे मानव जीवन में जब भी हमारे ह्रदय में ईश्वर के लिए आस्था, विस्वास, सम्मान, समर्पण कम होता है तब तब हम अस्तित्व विहीन हो जाते हैं,, सारा संसार ईश्वर की कल्पना का साकार रुप है,, ईश्वर ने कल्पना की कि एकोहम बहुष्यामि,,,, मैं एक से अनेक हो जाऊं,, और एक क्षण में श्रृष्टि का निर्माण ही गया, तो फिर उसके शिवा दूसरा कोई कैसे हो सकता है , यही संबंध है परमात्मा और जीवात्मा का ,, उस परमात्मा ने सभी को पैदा किया सभी का निर्माता है वह,, लेकिन उसे भूल कर हम माया के भंवर जाल में फंसे हुए हैं,, आज लोग मन्दिर तभी जाते हैं जब किसी संकट में फंस जाते हैं,, और भगवान को एक पल याद करने पर सैकड़ो मनोकामनाएं पूरी करने का निवेदन करते हैं, जब कि हम जो कुछ भी मांगते हैं वह सब सांसारिक सुख समृद्धि से सम्बन्धित होती हैं ,, हम यह भूल जाते हैं कि , प्रत्येक सांसों पर ईश्वर की करुणा और प्रेम है वरना तुम क्या उसकी बिना मर्जी के तो पत्ता भी नहीं हिल सकता,,
अथर्ववेद मंत्र १३/४(२)/१६,१७,१८ में कहा –
न द्वितीयो न तृतीयश्चतुर्थो नाप्युच्यते। य एतं देवमेकवृतं वेद।।
न पञ्चमो न षष्ठः सप्तमो नाप्युच्यते। य एतं देवमेकवृतं वेद।।
नाष्टमो न नवमो दशमो निप्युच्यते। य एतं देवमेकवृतं वेद।।
यजुर्वेद मंत्र २७/३६ का भाव है कि – न जातः न जनिष्यते कि हे परमेश्वर! तेरे समान न कोई उत्पन्न हुआ है और न भविष्य में कभी उत्पन्न होगा। अतः हम स्वयं निर्मित अनेक परमेश्वर होने और उनकी पूजा करने की कल्पना भी नहीं कर सकते।
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