लेखपाल संघ ने शोषण के विरुद्ध उप जिलाधिकारी से लगाई गुहार! हरिद्वार!
स.संपादक शिवाकांत पाठक!
राम चरित मानस में गो स्वामी तुलसी दास जी महराज लिखते हैं कि,,, टेढ़ जानि सब बंदइ काहू
वक्र चंद्रमहि ग्रसई न राहु
अर्थात - टेड़ा जानकर लोग किसी भी व्यक्ति की वंदना प्रार्थना करते हैं। टेड़े चन्द्रमा को राहु भी नहीं ग्रसता है। यह प्रसंग लक्ष्मण प्रशुराम संवाद का है,, मर्यादा पुरुषोत्तम राम भगवान परशुराम जी से कहते हैं कि मै तो बार बार आपसे विनम्रता से बात कर रहा हूं लेकिन आप मुझ पर की क्रोध कर रहे हैं,, जबकि लक्ष्मण आपसे कटु वचन बोल रहा है जिसका गुस्सा आप हम पर उतार रहे हैं,,,
इसका तात्पर्य है कि टेड़े अर्थात जो व्यक्ति सरल स्वाभाव के नहीं होते उनसे सभी भयभीत रहते हैं एवं उनके अनुसार ही कार्य करते हैं , उनके द्वारा कही गई बातें भले ही गलत क्यों न हों उन्हें सही मानते हैं। ऐसे व्यक्ति केवल अपने बारे में ही सोचते हैं, दूसरों को दुःख पहुँचाने के पहले एक बार भी नहीं सोचते हैं। ऐसे व्यक्तियों को लोग हानि पहुँचाने से भी डरते हैं।
और आज भी यह देखने को मिल रहा है कि ज्यादा सरल व्यक्ति का उत्पीड़न ज्यादा हो रहा है,,
लेकिन फिर भी लेखपाल तमाम बातों को सहते रहे चुप रहे, क्यों कि अनुशासन को सर्वोपरि मानते हैं,, परंतु अनुशासन का अर्थ यह नहीं है कि आप अपनें ऊपर होने वाले अत्याचार और शारीरिक, उत्पीड़न के मामलों में चुप रहें,, उत्तरांचल लेखपाल संघ उप शाखा,, तहसील हरिद्वार द्वारा एक प्रस्ताव पारित कर उप जिलाधिकारी हरिद्वार को प्रेषित किया गया ,, जिसमे कि उल्लेख किया गया कि एक ओर उत्तराखंड सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाए जानें हेतु हेल्प लाइन नंबर 1064 जारी कर जनता को जागरूक करने हेतु वी आई पी कल्चर को समाप्त करने का कार्य कर रही है जिसके चलते सभी महानुभावों द्वारा लाल, नीली, बत्तियों एवम तमाम सुविधाओं का त्याग कर करने का जिक्र किया गया है,,परंतु बेहद दुर्भाग्य पूर्ण यह है कि जनपद की तहसील हरिद्वार में बेवजह राजस्व निरीक्षक एवम उप निरीक्षकों को वी आई महानुभावों के साथ ही उनके रिश्तेदारों की तमाम व्यवस्थाओं हेतु बाध्य किया जा रहा,, आखिर क्यों,,?
परिणाम स्वरूप स्वाभाविक है कि जनता एवम शासकीय कार्यों में व्यवधान उत्पन्न होता है, उत्तरांचल लेखपाल संघ उप शाखा तहसील हरिद्वार ने स्पष्ट किया कि संघ का कोई भी सदस्य प्रोटोकाल से भिन्न यानि हटकर आए किसी भी महानुभावों की व्यवस्था या ड्यूटी नहीं करवाएगा,, साथ ही तहशील हरिद्वार में पीने के पानी शौचालय आदि की उचित व्यवस्था ना होने पर भी प्रकाश डालते हुए असुविधाओं से अवगत कराया,,, जन्म मृत्यु के कोई भी अभिलेख ना होने पर भी लेखपालों से आख्या मांगी जाने वाली बात पर भी उन्होने बल दिया,, बात तो कहीं तक जायज भी है क्यों कि तमाम विभाग ऐसे हैं जिनके कर्मचारियों को बेवजह परेशान नहीं किया जाता है,, तो फिर आखिर लेखपाल को ही टारगेट क्यों किया जा रहा है यह विचारणीय विषय है,
स.संपादक शिवाकांत पाठक।
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