मेरी मां मेरा जीवन,,,,




 खेलने की उमर में,

खिलाने की चिंता समां गई। विस्तर पर जब बीमार मां को देखा, 



इस छोटे से बच्चे को खुद ही, काम करने की समझ आ गई।



 कैसे भी कर के मुझे, मेरी मां को जिलाना है। उसके खाने और दवा के, लिए पैसा कमाना है।



 छोटा हूं तो क्या हुआ, हूं मेरे इरादे कमजोर नही है। मेरे लिए मेरी मां से बढ़कर, कोई और नही है। 



कुछ नहीं है ये बोझ मैं मां के, लिए कुछ भी कर सकता हूं। 



मेरी रगों में मेरी मां का ही खून है, उसे भी बेच कर उसका, इलाज करा सकता हूं। 


ओ पैसे वालों तुम बस तरस, दिखा सकते हो।

 मुझे मासूम समझ बस दया, दिखा सकते हो।


 मेरी तस्वीर खींच मेरी गरीबी, का मजाक उड़ा सकते हो, और इससे भी बढ़कर चंद पैसे,


मुझे देकर मेरे साथ अपनी,


तस्वीर खींच कर स्टेट्स, पर 


लगा सकते हो।


🙏🙏🙏


शिवाकांत पाठक हरिद्वार उत्तराखंड

खबरों के लिए सम्पर्क करें,,9897145867

Comments

Popular posts from this blog

कैसे बचेगी बेटियां,? नवोदय नगर में दिन दहाड़े प्रेमी ने गला रेत कर कर दी हत्या,! हरिद्वार,!

फुटबॉल ग्राउंड फेज 1 जगजीतपुर कनखल थाना क्षेत्र में घर में घुसकर बदमाशों द्वारा की गई मारपीट,,,!हरिद्वार,!

नवोदय नगर में घटी बहुत ही दुखद घटना!