_आम अवाम का शोषण~ महज कारपोरेट का पोषण :_रिजवान खान प्रदेश संयुक्त सचिव!

 


बजट 2021 का पोस्टमार्टम : पढ़िए एक तटस्थ विश्लेषण !

         


1. 

आगामी वर्ष से 2.5 लाख से ऊपर सालाना ईपीएफ राशि के ब्याज पर भी टैक्स लगेगा. ईपीएफ की राशि निकालने पर 20 लाख से अधिक राशि पर भी पुनः टैक्स देना होगा.

    यानी एक ही राशि पर दोहरा करारोपण किया जाएगा.

2. 

आयकर में मध्यमवर्ग और नौकरीपेशा वर्ग को कोई राहत नहीं दी गयी है. लेकिन आम जनता के उपयोग की निम्न वस्तुएं और अधिक महंगी कर दी गयी हैं -

_फ्रिज, पाम-सोयाबीन और सनफ्लॉवर क्रूड ऑयल यानी सभी प्रकार का खाद्य तेल और अधिक महंगा हो जाएगा, इसके अलावा मटर, देसी चना, काबुली चना और मसूर दाल भी महंगी हो जाएगी._

    निर्मला जी ने मोबाइल के पार्ट्स और मोबाइल चार्जर सहित आम जनता के उपयोग की साइकल भी और महंगी कर दी है.

3.

     पेट्रोल और डीजल पर क्रमशः 2.5 तथा 4 रुपये एक्साइज़ ड्यूटी पर सेस लगा दिया है. अभी बेसिक एक्साइज़ ड्यूटी कम की है.

    इससे पेट्रोल-डीजल के भाव भले ही तुरन्त न बढ़ें लेकिन साल भर इनमें बढ़ोतरी होती रहेगी, यह मान कर चलिये.

4. 

   कृषि और किसानों का हित देखने का दावा करने वाली सरकार ने बजट में कृषि पर सीधे 10 हजार करोड़ रुपये का आवंटन कम कर दिया है. 

   पिछले वर्ष कृषि का बजट 1.41 लाख करोड़ था जिसे घटा कर 1.31 लाख करोड़ कर दिया गया है.

5. 

मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा वर्ग को आयकर में कोई राहत नहीं दी गयी है जिसकी मांग की जा रही थी. इसकी जगह टैक्सचोरों को अवश्य राहत दी गयी है. 

    _अभी तक टैक्स चोरी करने वालों के पिछले दस वर्ष तक के प्रकरण पुनः खोले (Reopen) किये जा सकते थे. टैक्स चोरों को मोदीजी ने निर्मला जी के माध्यम से राहत प्रदान कर दी है._

   अब सिर्फ तीन वर्ष पुराने प्रकरण ही खोले जा सकेंगे. यानी पिछले सात वर्षों में जो कालाधन और बेनामी_सम्पत्तियां अर्जित की गयी हैं उनकी कोई जांच नहीं होगी. धन्य हैं मोदीजी और उनकी वित्त मंत्री!

6.

 चीन सिर पर बैठा हुआ है और पाकिस्तान बगल में से सेंधमारी कर रहा है लेकिन रक्षा बजट में सिर्फ सात हजार करोड़ की वृद्धि की गयी है वह भी पेंशन पर खर्च हो जाएगी. 

   _दृष्टव्य है कि भारत के रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ की तुलना में चीन का रक्षा बजट 14.6 लाख करोड़ है._

7.

 कोरोना_वेक्सीनेशन के लिये 35 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है लेकिन यह नहीं बताया कि पीएम_केयर_फंड में जो हजारों करोड़ एकत्र किया गया है वह कहां गया? उसमें कितनी आय और कितना व्यय हुआ? 

   _क्या 'पीएम केयर' के नाम पर निजी/पार्टी की ही केयर की गयी है? क्या वह धन बंगाल, असम, तमिलनाडु और केरल के भावी विधानसभा चुनाव में खर्च किया जाएगा? नौकरीपेशा लोगों ने अपना एक-एक दिन का वेतन उसमें दिया बल्कि उनसे जबरन लिया गया था जो कि वास्तव में 'प्रधानमंत्री राहत कोष' में जाना चाहिये था।_

      पीएम केयर में ही कार्पोरेट्स ने करोड़ों रुपये जमा कराये हैं, लेकिन उन्हें तो विभिन्न पैकेज और राहत देकर हिसाब बराबर कर लिया गया है.

8. 

अभी तक सिर्फ #सेना साम्प्रदायिकता और विभाजनकारी राजनीति से बची हुई थी। लेकिन अब सैनिक स्कूलों का भी निजीकरण कर उसके धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को समाप्त करने की योजना तैयार कर ली गयी है. 

   _निजी क्षेत्र की भागीदारी में 100 नए सैनिक स्कूल खोले जाएंगे. यानी अभी जो 29 सरकारी सैनिक स्कूल हैं उन्हें क्रमशः समाप्त कर दिया जाएगा या संसाधनों से वंचित कर दिया जाएगा. उनकी हालत अन्य सरकारी स्कूलों की तरह कर दी जाएगी और कथित एनजीओ के माध्यम से एक विशेष विचारधारा का सैन्य बल तैयार किया जाएगा. यह बहुत ही गम्भीर मामला है._

      इस योजना के पीछे छिपा_एजेंडा यह है कि भारतीय लोकतंत्र का सैन्यकरण किया जाएगा. अभी तक सिर्फ पुलिस और अर्ध सैन्य बलों (सीआरपीएफ) में ही साम्प्रदायिक और विभाजनकारी विचारों को पोषित और पल्लवित किया जा रहा था लेकिन भविष्य में सैन्य बलों में भी एक विशेष विचारधारा के सैनिक तैयार किये जायेंगे. 

    _यह फैसला हमारे लोकतंत्र के लिये सबसे बड़ा खतरा है, जिसपर शायद विपक्षी दलों ने भी अभी तक गम्भीरता से विचार और विरोध नहीं किया है._

9. 

एयर इंडिया और भारत पेट्रोलियम लि. के बाद अब भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और दो राष्ट्रीकृत बैंकों का भी #निजीकरण किया जा रहा है. जीवन बीमा के क्षेत्र में विदेशी भागीदारी को बढ़ा कर 74 फीसदी किया जा रहा है. 

    _लगता है आरएसएस और उसके स्वदेशी जागरण मंच ने मोदीजी के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है और स्वदेशीकरण की अपनी बुनियादी नीति को त्याग दिया है!_

10. 

जीएसटी की दरों का युक्तियुक्तकरण करने की कोई घोषणा नहीं की गई है. 

    _यानी न तो महंगाई कम होगी और न व्यापार-व्यवसाय में कोई प्रगति होगी. कुलमिलाकर बेरोजगारी की दर में भी कमी नहीं बल्कि वृद्धि ही होगी._

11. 

निर्मला सीतारमण जी को इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बजट आवंटन के लिये सिर्फ वे ही राज्य दिखाई दिये जहां अगले महीनों में चुनाव होना हैं. प.बंगाल, असम, तमिलनाडु और केरल में सड़कों, राजमार्गों और पुलों के निर्माण के लिये हजारों करोड़ आवंटित किये गए हैं. 

   _देश के शेष राज्यों को अगले विधानसभा चुनावों तक प्रतीक्षा करना होगी. यह भी सरकार की विभाजनकारी राजनीति का ही एक निकृष्ट (WORST) उदाहरण है._

12.

 गरीब वर्ग को रसोई_गैस की सब्सिडी से भी क्रमशः वंचित किया जा रहा है. एलपीजी पर सब्सिडी 62.2 फीसदी घटा दी गयी है. सरकार की उज्ज्वला_योजना महंगी रसोई गैस के कारण पहले ही असफल हो चुकी है. 

   _अब जिन्हें ईंधन पर सब्सिडी मिल रही थी वह भी उसी तरह समाप्त कर दी जाएगी जिस तरह रेल यात्रा पर वरिष्ठ नागरिकों को मिल रही सब्सिडी (रियायत) को समाप्त किया गया है._

      यद्यपि खाद्य सब्सिडी पर अवश्य 110 फीसदी की वृद्धि की गई है. देश की लगभग 50 करोड़ जनता सस्ते अनाज के लिये सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) पर निर्भर है. लेकिन सार्वजनिक वितरण प्रणाली में किस कदर भ्रष्टाचार व्याप्त है वह किसी से छिपा नहीं है. 

     _पीडीएस का अनाज काला बाजारी कर खुले बाजार में बेच दिया जाता है और गरीब जनता को कम अनाज देकर रजिस्टर पर अंगूठे लगवा लिये जाते हैं. यहां तक कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार द्वारा घोषित मुफ्त अनाज की स्कीम को भी पलीता लगा दिया गया._

      अभी पिछले दिनों ही मध्यप्रदेश के इंदौर और अन्य स्थानों पर लॉक डाउन के दौरान सार्वजनिक वितरण के लिये मिले अनाज को महंगे दामों पर आंध्रप्रदेश तथा अन्य राज्यों में बेचने का महाघोटाला उजागर हुआ है. 

    _ऐसे ही घोटाले पूरे देश में हुए होंगे लेकिन वित्त मंत्रीजी ने अपने बजट में इन काला बाजारियों को कठोर दण्ड देने का कोई संकल्प व्यक्त नहीं किया है._

13. 

 महामारी के दौरान जब लाखों नौकरियां चली गयीं और काम-धंधे बन्द हो गए तब अत्यंत गरीब मजदूर वर्ग के जीवन यापन का सिर्फ एक ही साधन शेष रह गया था जिसे हम महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना - यानी मनरेगा  के नाम से जानते हैं और जिसे डॉ. मनमोहनसिंह लाये थे. मोदीजी ने उसे सिर्फ 'गड्ढे खोदने वाली योजना' बताया था, उसका फंड 15.8 फीसदी अवश्य बढ़ाया गया है, लेकिन उसी अनुपात में पीएम_सम्मान_निधि का बजट 15.4 प्रतिशत घटा दिया गया है.

     _यह लघुतम जोत के किसानों को खेती की जमीन से वंचित कर खेतिहर मजदूर बनाने की योजना का हिस्सा है. सरकारी आंकड़ों के ही अनुसार देश में 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं. यानी देश मे सिर्फ कृषि पर निर्भर आबादी 60 करोड़ से अधिक है._

      उनमें से सरकारी दावों के अनुसार ही लगभग 8 से 9 करोड़ किसान परिवारों को छह हजार रूपये सालाना पीएम सम्मान निधि मिल रही है. अब उसके बजट में भी 15 फीसदी से अधिक की कमी कर दी गयी है जबकि मांग उसमें वृद्धि करने की थी.

        _कुल मिलाकर प्रधानमंत्री मोदी जी का यह आठवां बजट सिर्फ कार्पोरेट्स के हित संरक्षण वाला बजट है।_

यह शेयर बाजार की वृद्धि में भी परिलक्षित हो रहा है. बजट घोषित होने के बाद शेयर बाजार में 2315 अंकों की यानी 5 फीसदी की वृद्धि हो गयी.

    बजट पेश होने से पूर्व सेंसेक्स 46605 अंक था जो दोपहर 3.30 बजे 48600 का अंक पार कर बन्द हुआ.

     _इस बजट से सिर्फ उनके उद्योगपति मित्रों तथा शेयर बाजार के सटोरियों को ही फायदा होगा. आम जनता तो उसी तरह पुनः ठगी गयी है जिस तरह वह पिछले सात साल से ठगी जा रही है!_

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