भ्रष्ट लोगों की वजह से उठने वाला है संविधान के चौथे स्तंभ का जनाजा! संपादक शिवाकांत पाठक! हरिद्वार
आपको बताते चले कि 15 जून 2019 दिन शुक्रवार को उत्तराखंड पत्रकार यूनियन ने डी जी पी अनिल रतूड़ी जी को दिल्ली में पत्रकारों के साथ हुई मारपीट के विरोध में एक ज्ञापन सौंपा था जिसपर डी जी पी अनिल रतूड़ी द्वारा आदेश जारी किया गया था कि किसी भी पत्रकार के खिलाफ बिना जांच के कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा क्या डी जी पी उत्तराखंड के आदेश का शतप्रतिशत पालन हो रहा है वहीं दूसरी ओर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया दिल्ली के अध्यक्ष न्यायमूर्ति चन्द्रमौलि कुमार प्रसाद
ने पूर्व में झारखंड में एक पत्रकार की हत्या पर गहरा दुख जताते हुए कहा था कि मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकार सुरक्षित नहीं है उन्होंने कहा कि मीडिया की सुरक्षा के लिए विशेष कानून होना चाहिए आप को बताते चलें कि की उत्तर प्रदेश में एक पत्रकार द्वारा मिड डे मील में बच्चो को नमक रोटी देने की खबर प्रकाशित की थी जिसपर पत्रकार पर फर्जी मुकदमे की कार्यवाही की गई थी पत्रकार पर आरोप था कि फर्जी तरीके से गलत मंशा से मिड डे मील का वीडियो बनाया गया ग्राम प्रधान भी पत्रकार के खिलाफ था एडिटर्स गिल्ड औफ इन्डिया के प्रेसिडेंट शेखर गुप्ता, जनरल सिक्रेटी ए के भट्टाचार्य और ट्रेजरार शीला भट्ट ने एक लेटर जारी कर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम को निंदनीय व क्रूर बताया था साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, ग्रह सचिव, डी जी पी लखनउ यू.पी , एस पी मिर्जा पुर को 18 दिसंबर को तलब किया व जवाब मांगा था आपको बताते चलें कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया पत्रकारों के हितों की रक्षा करता है व उसके निर्णय की अपील भारत की किसी भी अदालत में नहीं हो सकती, यह एक बड़ा सवाल पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर बना हुआ है,पत्रकार जनता की आवाज को बुलन्द करने व अवैध कार्यों का पर्दाफाश करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर खबरे प्रकाशित करते है लेकिन उसके बदले में उन्हें जानते हैं क्या मिलता है? झूठे मुकदमे में फंसाने व जान से मारने की धमकी जबकि पत्रकारो को खबरे प्रकाशित करने व खबरे दिखाने की एवज में कोई वेतन नही मिलता है जबकि कानून की बात करे तो पत्रकार के खिलाफ कोई भी तहरीर आने पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित होने वाली पत्रकार सुरक्षा समिति उस पर गंभीरता पूर्वक विचार कर निर्णय लेगी व उसके बाद उसपर कोई कार्यवाही अमल लाई जा सकती है इससे पहले किसी भी पत्रकार पर किसी भी थाने कोतवाली में मुकदमा दर्ज नही किया हो सकता सच लिखना व दिखाना उस समय भारी पड़ गया जब पत्रकार सीएससी सेंटर पर आधार कार्ड में संशोधन करने के नाम पर मनमर्जी पैसे वसूलने वाले एक सेंटर संचालक व एक खनन की खबर को अपने अपने न्यूज चैनल पर व अखबार में प्रसारित करने पर मुकदमे में फंसाने के षड्यंत्र रचा डाला व खननं की खबर प्रकाशित करने पर माफिया दुवारा धमकी दे डाली जबकि थाना सिडकुल क्षेत्रीय असमाजिक तथ्यों पर पुलिस लगातार मुहिम चलाई जा रही है। जो क्षेत्र में अवैध गतिविधियों में लिप्त है। व काफी हद तक कामयाबियां हासिल भी हो रहीं हैं!
आपको बता दें कि इन अवैध कार्यों में सबसे ज्यादा शिकायते आधार कार्ड व अवैध खनन के मामलों से जुड़ी होती है। और इन्ही खबरों को प्रसारित करना पत्रकारो को भारी पड़ता है। मामला है जहां एक ओर रावली महदूद ग्राम में दुकानदार द्वारा आधार कार्ड सही करने के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही थी तो दूसरी ओर बहादराबाद नजदीक एक गांव में खनन किया जा रहा था जिसकी सूचना मिलने पर हरिद्वार सिडकुल क्षेत्र के कुछ पत्रकारो ने इस मामले को खबरों के माध्यम से उजागर कर दिया।जिसके बाद दुकानदार व खनन माफियाओं द्वारा पत्रकारो पर झूठा मुकदमा करके उन पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं!
हालांकि पुलिस के आला अधिकारियों द्वारा मामले को गंभीरता से लिया गया और पत्रकारो को आस्वासन दिया गया कि मामले की गंभीरता से जांच होगी
उसके बाद ही दोषी पाये जाने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी जिन पत्रकारो द्वारा खबरों के माध्यम से अपराधियों की पोल खोली जा रही है अक्सर वही खबरें अपराधियों के गले की फांस बन जाती है जिस कारण पत्रकारो से बदला लेने की मन्सा से आजकल माफियाओं ओर अपराधियों ने एक रास्ता निकाल लिया है। और वो रास्ता है झूठे मुकदमे में फसाने का षड्यंत्र।। ऐसे ही एक षड्यंत्र से परेशान होकर कुछ पत्रकारो ने हरिद्वार पुलिस प्रसाशन से गुहार लगाई है और उन्होंने स्वयम के साथ होने वाली किसी भी अप्रिय घटना की व फर्जी मुकदमे की आशंका जताई है, ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या पत्रकार वास्तव में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है। क्या पत्रकारो द्वारा सच्चाई लिखना ही अनकिया अपराध बन चुका है क्या क्षेत्र में अपराधियों ओर माफियाओं का गुंडाराज चलता रहेगा।?
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