जानते हैं कृषि कानून का क्‍या होगा असर? रिजवान खान!

 


प्रदेश संयुक्त सचिव किसान कांग्रेस रिजवान खान ने कहा कि

यही खुली छूट आने वाले वक्त में एपीएमसी मंडियों की प्रासंगिकता को समाप्त कर देगी. एपीएमसी मंडी के बाहर नए बाजार पर पाबंदियां नहीं हैं और न ही कोई निगरानी. सरकार को अब बाजार में कारोबारियों के लेनदेन, कीमत और खरीद की मात्रा की जानकारी नहीं होगी. इससे खुद सरकार का नुकसान है कि वह बाजार में दखल करने के लिए कभी भी जरूरी जानकारी प्राप्त नहीं कर पाएगी.

इस कानून से एक बाजार की परिकल्पना भी झूठी बताई जा रही है. यह कानून तो दो बाजारों की परिकल्पना को जन्म देगा. एक एपीएमसी बाजार और दूसरा खुला बाजार. दोनों के अपने नियम होंगे. खुला बाजार टैक्स के दायरे से बाहर होगा.

सरकार कह रही है कि हम मंडियों में सुधार के लिए यह कानून लेकर आ रहे हैं. लेकिन, सच तो यह है कि कानून में कहीं भी मंडियों की समस्याओं के सुधार का जिक्र तक नहीं है. यह तर्क और तथ्य बिल्कुल सही है कि मंडी में पांच आढ़ती मिलकर किसान की फसल तय करते थे. किसानों को परेशानी होती थी. लेकिन कानूनों में कहीं भी इस व्यवस्था को तो ठीक करने की बात ही नहीं कही गई है.

मंडी व्यवस्था में कमियां थीं. बिल्कुल ठीक तर्क है. किसान भी कह रहे हैं कि कमियां हैं तो ठीक कीजिए. मंडियों में किसान इंतजार इसलिए भी करता है क्योंकि पर्याप्त संख्या में मंडियां नहीं हैं. आप नई मंडियां बनाएं. नियम के अनुसार, हर 5 किमी के रेडियस में एक मंडी. अभी वर्तमान में देश में कुल 7000 मंडियां हैं, लेकिन जरूरत 42000 मंडियों की है. आप इनका निर्माण करें. कम से कम हर किसान की पहुंच तक एक मंडी तो बना दें. संसद में भी तो लाखों कमियां हैं. क्या सुधार के नाम पर वहां भी एक समानांतर निजी संसद बनाई जा सकती है? फिर किसानों के साथ क्यों?

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