गढ़मीर पुर में धूम धाम से मनाया गया मोहर्रम का पर्व। हरिद्वार।

 



संपादक शिवाकांत पाठक।




रिपोर्ट महावीर गुसाईं,,जुम्मा मस्जिद गढ़मीरपुर में मनाया गया बड़े धूमधाम से मोहर्रम का त्यौहार भाईचारे के प्रतीक बड़े शांतिपूर्वक मनाया गया



इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम है, जिसे मुहर्रम-उल-हराम के नाम से भी जानते हैं. यह इस्लाम के चार पवित्र महीनों में से एक है. मुहर्रम पैगंबर मुहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की मृत्यु के शोक का महीना है. इस दिन शिया समुदाय के लोग मातम मनाते हैं, जबकि सुन्नी ताजिया पुर्सी करते हैं. इस्लामिक विषयों के जानकार रामिश सिद्दीकी से जानते हैं कि मुहर्रम का इतिहास और महत्व क्या है?



मुहर्रम क्या है?

इस्लामिक कैलेंडर में मुहर्रम साल का पहला महीना होता है. इस्लाम में साल के चार महीने मुहर्रम, रजब, ज़ुल-हिज्जा, ज़ुल-क़ादाह माह को बाकी महीनों पर श्रेष्ठता दी गई है. मुहर्रम का शाब्दिक अर्थ है मनाही. कुरान और हदीस के अनुसार, मुहर्रम के महीने में युद्ध या लड़ाई-झगड़ा करना निषिद्ध है. इस पवित्र महीने के समय मुसलमानों को अधिक से अधिक इबादत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इस महीने की शुद्धता के कारण अनेकों लोग विश्वभर में इस महीने में रोजा यानी उपवास रखते हैं. इस्लामिक इतिहास के अनुसार, मुहर्रम के महीने में कई बड़ी घटनाएं हुई हैं लेकिन उन सब में सबसे बड़ी और दुखद घटना थी हज़रत मुहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन इब्न अली और उनके परिवार का कर्बला के मैदान में निर्ममता से हुआ संहार। इस पर्व पर जुलूस में


शमशेर कुरैशी इंतजार अली मीर साबिर कुरेशी सलीम प्रधान आदि ग्राम वासी शामिल रहे।


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