वह सच जिसे आपको स्वीकार करना पड़ेगा,,,।
स.संपादक शिवाकांत पाठक।
जन्म से पूर्व ईश्वरीय चमत्कार देखने को मिलता है जैसे कि मावव जन्म से पूर्व उसके भोजन वायु ( सांस लेने का प्रबंध ) रहने की समुचित व्यवस्था कितनी सुदृढ़ और मजबूत होती है,, क्या यह ईश्वरीय शक्ति का अहसास नहीं दिलाती,, और जब जन्म से पहले ही जिसके द्वारा सारी व्यवस्था की जाती है तो फिर जीवन में घटने वाली सारी घटनाएं भी ईश्वर द्वारा ही संचालित होती हैं ,इस बात को स्वीकार करना चाहिए,, हमारे जीवन में होने वाले प्रत्येक कार्य पहले से सुनिश्चित होते हैं जिसमें विधि का विधान सन्निहित होता है, हमारे कर्मों के परिणाम स्वरूप आगे का जीवन सुनिश्चित होता है,, जीवन में सफलता और असफलता , दुख और सुख भी प्रारब्ध ( पूर्व में किए गए कर्मों ) से ही प्राप्त होते हैं,, कई बार आपने देखा होगा कि किसी अनजान व्यक्ति से मिलने पर आपको अंतर्मन से सुख की अनुभूति होती है,, जिससे आपका कोई भी रिश्ता नहीं होता लेकिन उसके ना मिलने पर एक अजीब सी बेचैनी महसूस की होगी आपने,, इसी को प्रारब्ध कहते हैं,, इस संसार में मानव तमाम अधूरे कार्यों को पूरा करने हेतु बार बार जन्म लेता है ,, ऐसे कई उदाहरण आज भी देखने को मिलते हैं,, इस संसार की रचना करने वाला पूर्ण है,,पूर्ण ,,, का मतलब जिसमें सभी कुछ विद्यमान हो कोई भी चीज ऐसी ना हो कि जो वह कर ना सके,,, पूर्ण वह है जिससे पूर्ण निकलने के बाद भी वह पूर्ण रहे ,, जैसे कि समुंदर से एक लोटा पानी निकालने के बाद भी समुंदर पर कोई भी असर नहीं होता,,, वह पहले की तरह ही रहता है,,,
जो लोग ईश्वर को नहीं मानते हैं,, एक बार सोचिए कि मृत व्यक्ति को आज तक कोई भी वैज्ञानिक जीवित नहीं,,, कर सका,, क्यों,,,?,,
इस संसार की कोई भी वस्तु को छुए बिना विश्व का कोई भी वैज्ञानिक कोई भी अविष्कार करने में सक्षम नहीं है,,, यह एक प्रत्यक्ष उदाहरण है जो कि ईश्वरीय शक्ति का उदाहरण प्रस्तुत करता है,, हम जिसकी कोंख से जन्म लेते हैं उससे भी हम पूर्व परिचित नहीं होते हुए भी मां कहते हैं और इसी तरह से हमारे जीवन में तमाम अनजान रिश्ते जुड़ते चले जाते हैं,, लेकिन ज्यादातर हम खून के रिश्तों को प्रमुखता देते हैं,, द्वापर युग में होने वाला महा भारत युद्ध खून के रिश्तों के टकराव का परिणाम था,,,जब कि जीवन में मिलने वाले हर व्यक्ति से हमारे पूर्व संस्कार जुड़े होते हैं,, और खून के रिश्तों में भाई भाई का खून कर देता है,, तो फिर किस रिश्ते को आप मूल्यवान समझते हैं यह आपके विवेक पर आधारित होता है,,
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