एक वृक्ष मां के नाम लगाएं क्या आपने सोचा कि ये किसने कहा,,,,,??

 


स.संपादक शिवाकांत पाठक।





रिपोर्ट शांभवी मिश्रा,,,अक्सर लोग बडी से बड़ी मुसीबतों का सामना करने के बाद भी सरकारों की तरफ मुंह ताकते रहते हैं कि सरकार को ऐसा करना चाहिए वैसा करना चाहिए,, मानव जीवन को बचाने हेतु अपने उत्तरदायित्वों से मुंह मोड़ लेते हैं,, आप सभी का भी तो कुछ फर्ज बनता है सरकार के लोग भी आपके बीच से ही निकले हैं आसमान से नहीं टपके हैं,,, साथ ही वर्तमान समय कलियुग कहलाता हैं जहां सभी तरह के पापचरण करना मनुष्य का मूल स्वभाव होना बतलाया गया है,,, तो फिर आप की तरह सरकार चला रहे लोग भी मनुष्य ही हैं देवता नहीं हो सकते,,



समय चक्र के साथ साथ मानव की विचार धाराएं, स्वभाव, कर्म,, जरूरतें सभी कुछ बदलता है तो फिर आप खुद ही जब मानव जीवन के लिए नहीं सोच सकते तो सरकार से उम्मीदें क्यों,,,,?

आप अपनें गांव में वृक्ष लगा सकते हैं,, गांव नहीं तो फिर मुहल्ले में लगा दें वह भी नहीं हो सकता तो अपने घर के आसपास मौजूद किसी भी जगह पर लगा दें वह एक वृक्ष आने वाली पीढ़ियों के जीवन के लिए अमृत साबित होगा,, आज भारत के यशस्वी प्रधान मंत्री श्री मोदी जी कह रहे हैं कि एक वृक्ष मां के नाम,,, तो फिर इसमें सोचने की क्या आवश्यकता है,, जिस देश की मिट्टी में तुमने जन्म लिया है जिस देश की मिट्टी में उपजे अन्न से तुम्हारा जीवन है,, उसके लिए या फिर जिस मां ने तुम्हे नौ माह तक अपने गर्भ में रखकर तुम्हारे जीवन के लिए महत्व पूर्ण योगदान दिया है उस मां के नाम लगा दो एक वृक्ष,,, क्यों नहीं लगाते हो तुम सब वजह क्या है,, क्यो कि तुमसे किसी ने जोर जबरदस्ती नहीं की आज अंग्रेज होते तो वे कहते कि जो व्यक्ति एक वृक्ष नहीं लगाएगा उसे 100 कोड़े मारे जायेंगे तब सारे तर्क वितर्क छोड़ कर हर व्यक्ति पौधे हाथों में लिए दिखता,,, सोच कर देखो सच कह रहा हूं या नहीं,,,??



वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए-

मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु,

सखा शंकरमेवच।

पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम,

वृक्षराज नमस्तुते।


पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजार्बर है, बरगद 80% और नीम 75 % ,अब सरकार ने इन पेड़ों से दूरी बना ली तथा इसके बदले विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया जो जमीन को जल विहीन कर देता है इस यूकेलिप्टस के पेड़ को लगाना राजीव गांधी के जमाने में चालू किया. आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नहीं  रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ उड़ जायेगा हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाये तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त हिन्दुस्तान होगा वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए*

पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं।जब सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष थे तब मंत्रियों और सांसदों के आवास के अंदर से सभी नीम और पीपल के पेड़ कटवा दिए थे मीडिया में बड़ा मुद्दा नहीं बना, क्यूँकि मीडिया को इससे कोई लाभ नहीं  था* अनेक पिछड़े इलाकों में अनेक पिछड़े इलाकों में तो पीपल बरगद आधी पेड़ों को लगाने को लेकर अनाप-शनाप भ्रांतियां भी फैलाई जाती हैं यह काम ज्यादातर ईसाई और म्लेच्छों का होता है जबकि भारतीय संस्कृति में आम पापड़ पीपल तुलसी केला बरगद आक ढाक जैसे पेड़ों को लगाना  धन वैभव स्वास्थ्य और  संतान सुख का कारण माना जाता है।



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