आज गुरू पूर्णिमा है क्या आप जानते हैं गुरू का अर्थ,,,,?

 




स.संपादक शिवाकांत पाठक।


क्या भौतिक सुखों को प्राप्त करने  की शिक्षा प्रदान करने वाले को आप गुरू मानते हैं,, अंग्रेजी, भौतिक विज्ञान, गणित पढ़ लेने को आप शिक्षा मान लेते हैं तो फिर बडी बडी डिग्रियां हासिल करने के बाद सड़को के किनारे रेढ़ी लगाना किस बात का संकेत देता है,, गुरू शब्द दो अक्षरों से मिलकर बना है , पहला है गु,, इसका अर्थ है अंधकार, दूसरा अक्षर है रु,,, इसका अर्थ होता है प्रकाश,, यानि जो हमको अंधकार से प्रकाश की ओर जानें का मार्ग प्रशस्त करे वह गुरू होता है,, यदि आप लॉग स्कूलों में दी जानें वाली शिक्षा से अपना और अपने परिवार के भरण पोषण करने हेतु रोजगार प्राप्त कर लेते हैं तो जो लोग एक भी दिन स्कूल नहीं जाते ऐसे अंगूठा छाप बाबाओं और नेताओं की संपत्ति का आंकलन करके देखना और सोचना कि तुमने कैसी शिक्षा गृहण की है, भारतीय प्राचीन शिक्षा प्रणाली के बारे में जानकारी है आपको पहले की शिक्षा गुरुकुलो में हुआ करती थीं जहां पर रहें वाले आचार्य वेद, शास्त्रों, पुराणों के अनुसार हमको मानव जीवन के लक्ष को प्राप्त करने हेतु शिक्षा प्रदान करते थे,,

द्वापर युग में शी कृष्ण ने स्वयं परमात्मा होते हुए भी किसी को शिष्य नहीं बनाया,, वे सभी को सखा कहते थे, सखा का अर्थ है दोस्त,, आज बाबाओं के चरणों की धूल लेने के लिए भगदड़ में सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है जिसे सामान्य सी घटनाओं के रुप में देखा जाता है, आज सी ब एस सी बोर्ड कि इंग्लिश मीडियम शिक्षा गृहण करने के बाद आए दिन सुनने को मिलता है कि आई पी एस ने खुद कसी कर ली, या फिर कभी खुद को लोग गोली मारकर समाप्त कर रहे हैं यह है आज की शिक्षा, 5 साल की बच्ची से दरिंदगी,महिलाओं की छेड़खानी, नशा खोरी, बढ़ते अपराध आज की शिक्षा प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह साबित हो रहें हैं,,

अतीत में झांको और देखो प्राचीन भारतीय संस्कृति सभ्यता का गला घोंटते हुए हम तबाही को जा रहे शिक्षा के नाम पर सिर्फ हमको लूटा जा रहा है,, हम मानवीय संवेदनाओ, सभ्यताओं को भूल चुके हैं,,,


गौर करें, अयोध्या नरेश राजा राम अपने कानो से सीता के संबंध में जब कुछ सुनते हैं तो राज धर्म निभाने के लिए अपने प्राणों से अधिक प्रिय जानकी का परित्याग करने का निश्चय करके अनुज लक्ष्मण को आदेश देते हैं कि वे सीता को वन घुमाने के लिए कहकर जंगलों में उसे छोड़ आए,,, कितना हृदय विदारक दृश्य रहा होगा थोड़ा कल्पना कीजिए,, राजमहलों में बचपन गुजारने वाली मां जानकी को लक्ष्मण हृदय पर पत्थर रखकर वन में छोड़ आते हैं,, सीता मां ऋषि वाल्मीक की के आश्रम में रुकती हैं,, उस समय वास्तव में आज के राम रहीम जैसे आश्रम नहीं हुआ करते थे,, आपको याद दिला दें कि मनुष्य की प्रथम पाठशाला उसका घर और प्रथम गुरू मां होती है,, मां सीता ने लव कुश को किसी भी तरह के इंग्लिश मीडियम स्कूलों में शिक्षा नही दी थी,, लेकिन लव कुश का साहस वीरता युद्ध कौशल किसी से छिपा नहीं है,, अयोध्या नरेश राम को युद्ध में ललकारते हुए बन देवी के पुत्रों ने मां की शान में जो चार चांद लगाते हुए इतिहास के पन्नो में एक नई शौर्य गाथा दर्ज की वह प्राचीन शिक्षा प्रणाली का एक छोटा सा उदाहरण है,,,,



 सद्गुरु वह नहीं होता जो आपसे पहले श्रद्धा- विश्वास की बात करे. सद्गुरु वह नहीं होता जो अनुचरों की दौलत से अपना साम्राज्य खड़े करे. सद्गुरु वह नहीं होता जो आपसे तन-मन-धन के समर्पpण की बात करे. सद्गुरु वह नही होता जो आपसे कोई भी भौतिक चीज चाहे.


    _◆सद्गुरु वह होता है जो आपको आपसे मिलाने, परमानंद का अनुभव कराने का स्टेज दे : बिना आपसे कुछ- भी स्वीकारे. वह दाता होता है, याचक या लुटेरा नहीं._




      _जहाँ तक मेरी बात है, मेरा अस्तित्व परम्परा की परंपरा का अतिक्रमण कर अभिनव/जीवंत परम्परा के सूत्रपात का साहस रखता है. यानी समूचे गर्हित अतीत को अस्वीकारने का साहस. मैं गुरु घंटालों को अस्वीकार करता हूँ : कोई लघु-दीर्घ नहीं, समत्व. जो मूलतः तुम हो, वही मैं हूँ. तुम न जानो-मानो, खुद को ज़िस्म का लोथड़ा ही स्वीकारो तो ये तुम्हारी असाध्य बीमारी है, मेरी नहीं. मैं प्रेम और मैत्री को मार्ग बनाया हूँ. ऐसा नहीं है कि इसका कोई उदाहरण अतीत में है ही नहीं. पृथ्वी के इतिहास में समग्रता/ 


संपूर्णता को साकार करने वाले एकमात्र किरदार कृष्ण ने शिष्य नहीं सखा/सखी बनाये और विशुद्ध प्रेम का ही मंत्र दिया।._

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