भारतीय युवा क्यों जाते हैं नौकरी करने हेतु विदेश और लेते हैं नागरिकता! ( विचारणीय विषय )

 


संपादक शिवाकांत पाठक!



आज की शिक्षा पर यदि हम वास्तव सोचे तो हमको महसूस होता है कि हम प्राचीन भारतीय संस्कृति सभ्यता को भूल या खो चुके हैं,, बचपन से ही निजी या सरकारी स्कूल में दी जाने वाली शिक्षा में भारतीयता विलुप्त होती प्रतीत होती है! बच्चों का जन्म भी अब घरों में ना होकर अस्पतालों में होता है,, और उनकी देखभाल करने वाली कोई और होती है वे मां के दूध के स्थान पर बनावटी दूध पीते हैं, क्यो कि ज्यादातर माता पिता अपनी जिम्मेदारियों उत्तरदायित्वों को निभाने के लिए नौकरी करते देखे जाते हैं,, तो फिर जिस बच्चे को मां या पिता का प्यार स्नेह ना मिल सके वह आगे चल कर किस तरह से अपने फर्ज निभाता है,, आप सभी देख रहे हैं,, एक बेटा पूछता है पापा क्या लाए हो,, तो पिता कहता है कि संतरा लाया हूं,,, और बेटा कहता है संतरा किसे कहते हैं,,? आज ज्यादा तर शहरों,, और विदेशों में रहने वाले बेटे अपने माता पिता को वृद्धा आश्रम वृद्धा आश्रम में छोड़ देते हैं क्यों,,? क्या आपने कभी सोचा ??,, क्या यह हमारी संस्कृति सभ्यता रही है,,??

जवाब जरूर देना चाहिए लेकिन जब है ही नहीं तो कोई देगा कैसे,,?  आज हमने सच से दूरियां बना रखी हैं,, हम औसरवादिता में जी रहे हैं,, ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठा, राष्ट्र प्रेम केवल अब दिखावा या छलावा बन चुका है ,, क्यों,,,? और फिर भी सभी मौन होकर तमाशा देख रहे हैं ,,



क्या आप जानते हैं ???👇




विदेशों का रुख करने वालों में भारतीय सबसे आगे

पढ़ाई करने और रोजगार की तलाश में जाते हैं विदेश

कई भारतीय नागरिकता छोड़कर विदेशों में बसते भी हैं

नई दिल्ली: दुनियाभर से करीब 1 करोड़ 80 लाख लोगों ने अपना देश छोड़कर विदेशों का रुख किया। ऐसे में सबसे बड़ी आबादी भारतीयों की है। दूसरे स्थान पर मेक्सिको है। वहां के 1 करोड़ 12 लाख लोग विदेश चले गए। इस लिस्ट में क्रमशः रूस और चीन का नाम तीसरे और चौथे नंबर पर आता है। दोनों देशों की 1 करोड़ से अधिक आबादी ने विदेशों का रुख किया। मेक्सिको छोड़ने वाली वहां की ज्यादातर आबादी पड़ोसी देश अमेरिका जाती है, लेकिन भारतीय दुनिया के कई देशों का रुख करते हैं। पढ़ाई से रोजगार तक, भारतीय अलग-अलग मकसद से दुनियाभर में फैले हैं। आइए देखते हैं दुनियाभर के विस्थापन के आंकड़े...


कितने भारतीय छात्र-छात्राएं जाते हैं विदेश?


वर्ष 2019 में 6 लाख भारतीय स्टूडेंट्स विदेश पढ़ने गए। इनमें सबसे ज्यादा संख्या कनाडा जाने वालों की थी। उसके बाद अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूके का नंबर आता है। ध्यान रहे कि 2019 में न कोविड था और न ही रूस-यूक्रेन युद्ध।


वर्ष विदेश जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या

2019 5.9 लाख

2020 2.6 लाख

2021 4.4 लाख

2022 2.5 लाख




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