सावधान,,,,,आदमी इंसान को डंसने लगा है!
आदमी इंसान को डंसने लगा है!
देख कर अब सांप भी हंसने लगा है !!
खुद को ही अब मान बैठा है खुदा!
स्वयं निर्मित जाल में फंसने लगा है!!
देख कर अब सांप भी हंसने लगा है,,,,,
ना रही इंशानियत अब आदमी में!
दफन होना है सुनिश्चित इस जमीं में!!
दूसरों पर उंगलियां हर दम उठाता!
झांक कर देखा नहीं अपनी कमी में!!
भाईयो अब दूर रहना आदमी से !
नांग भी अब तंज ये कसने लगा है!!
देख कर अब सांप भी हंसने लगा है,,,,,
स्व रचित रचना
स.संपादक शिवाकांत पाठक
वी एस इन्डिया न्यूज चैनल परिवार हरिद्वार उत्तराखंड
संपर्क सूत्र 📞9897145867
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