उत्तर प्रदेश में पत्रकार हो रहे पुलिस की बर्बरता के शिकार! उत्तर प्रदेश!
स. संपादक शिवाकांत पाठक!
( लोकतंत्र पर प्रहार, अयोध्या पुलिस ने खबर छापने वाले पत्रकार को दी थर्ड डिग्री )
अयोध्या(संवाददाता)।दिल्ली से प्रकाशित तोमरराज समाचार पर के पत्रकार धर्मेन्द्र तिवारी को अयोध्या पुलिस की कार्यशैली के खिलाफ अपने समाचार पत्र में समाचार छापना भारी पड़ गया, आपको बता दें कि 21 अप्रैल को तोमरराज समाचार पत्र में थाना बीकापुर अंतर्गत मोतीगंज पुलिस चौकी ग्राम रामपुर जोहान निवासी विधवा प्रेम कुमारी पर हो रहे अन्याय के खिलाफ "मोतीगंज चौकी इंचार्ज पर बड़ा सवाल, आयुक्त के आदेश को दिखा रहे ठेंगा" शीर्षक से खबर चलाई जिस से चौकी इंचार्ज अश्वनी कुमार सिंह इस कदर नाराज हुए कि 29 अप्रैल को बड़े प्यार से तोमरराज के पत्रकार धर्मेन्द्र कुमार तिवारी को यह कहकर बुलाया कि आपके खिलाफ एक प्रार्था पत्र आया है उस बारे में पूछताछ करनी है, इस संबंध में पत्रकार ने दिल्ली अपने समाचार संपादक को अवगत करा दिया और अयोध्या ब्यूरो प्रमुख हसन के साथ मोतीगंज पुलिस चौकी पहुंच गए।जब दोनों पत्रकार चौकी मोतीगंज पहुँचे तो वहाँ पर चौकी इंचार्ज अश्वनी कुमार सिंह ने अपने सिपाहियों से कहकर उन का मोबाईल, प्रेस आई.डी. कार्ड एवं माइक रखवा लिया। आपको बता दें कि पत्रकार धर्मेंद्र तिवारी ने इसके पूर्व महिला बिन्दुलता पत्नी अनिल उपाध्याय के खिलाफ भी अखबार में खबर प्रकाशित की थी। चौकी इंचार्ज मोतीगंज ने बिन्दुलता को बुला करके चौकी पर ही प्रार्थी को पिटवाया और अपने सिपाही से वीडियो बनवाया ,इसके बाद चौकी इंचार्ज ने कमरे में ले जाकर पत्रकार को लात जूता व डंडे से खूब मारा-पीटा और माँ बहन की भद्दी-भद्दी गाली दी और जेब में रखे भवानी ट्रेडर्स (फर्म) मोरंग गिट्टी के रखे 25 हजार रूपये छीन लिए और गली देते हुए कहा तुम पंडित दोबारा दिखायी नहीं देना चौकी पर नही तो तुम्हे गोली मार दूंगा। इसके बाद चौकी इंचार्ज द्वारा प्रार्थी का धारा 151 में चालान कर दिया इसके बाद महिला की तहरीर पर प्रार्थी के खिलाफ धारा 354, 354ख, 323, 504, 506 का मुकदमा दर्ज कर लिया जो कि पूर्णतया गलत है। चौकी इंचार्ज मोतीगंज और विपक्षी महिला बिन्दुलता पत्नी अनिल उपाध्याय की मिली भगत से खबर चलाने का बदला लेने के उद्देश्य से पत्रकार के ऊपर फर्जी मुकदमा लिखाया गया जिससे प्रार्थी चौकी इंचार्ज मोतीगंज व विपक्षी महिला बिन्दुलता के खिलाफ अखबार में खबर प्रकाशित न करे। पुलिस प्रशासन द्वारा चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता को दबाने का यह प्रयास लोकतंत्र के लिए खतरा साबित हो रहा है! क्यों प्रेस पर दवाब बना कर फर्जी मुकदमा दायर कर पत्रकारों की स्वतंत्रता का हनन करना भारतीय प्रेस परिषद के निर्देशों के साथ खिलवाड़ है ,, अपराधिक लोगों का सहयोग कानून की मर्यादा का उल्लंघन है ,, जो विधि सम्मत कानूनी अपराध है !
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