शेर किसी पहचान के मोहताज नहीं होते ,, कर्म से बनती है पहचान! हरिद्वार!

 



(उत्तराखंड में अपनी कर्मठता से बनाई अमिट छाप)




स. संपादक शिवाकांत पाठक!







"देखो देखो कौन आया, खाकी में अब शेर आया!" उत्तराखंड पुलिस का यह शेर किसी परिचय का मोहताज नहीं क्योंकि जो इन्होंने एसटीएफ एसएसपी रहते हुए कर दिया वो अकल्पनीय है।


आजकल यह नारा केवल हरिद्वार में ही नही अपितु पूरे उत्तराखंड में गूंज रहा है। हो भी क्यों ना, जबसे एसएसपी अजय सिंह ने हरिद्वार की कमान संभाली है मानो दुर्दात अपराधियों को स्वयं यमराज लेने आ रहे हो । अधिकाश गुंडे तो अजय सिंह की नियुक्ति के दिन ही लापता हो गए थे पर जो कुछ राजनैतिक संरक्षण की आढ लिए अब तक टिके थे उनका इलाज हरिद्वार पुलिस ने शुरू कर दिया। अजय जी के कार्यकाल में 7 एनकाउंटर किए गए जो किसी जाति या धर्म विशेष के अपराधियों के नही अपितु उन दुर्गांत अपराधियों के लिए गए जो आम जनमानस में अपराध का प्रयाय बन चुके थे। सभी वांछित थे और जब पुलिस द्वारा दबिश डाली गई तो पुलिस पर इन दुर्गांत राजनैतिक संरक्षण प्राप्त अपराधियों ने हमला किया जिसमें कई को गोली लगी । अगर ऐसे दुर्दात अपराधियों को पकड़ना गलत है तो भाई यह चौकी थाने बंद कर दो।



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