संदेह सदैव सत्य पर होता हैँ झूठ को दिखावा के कारण सत्य मान लिया जाता है,,,,
संपादक शिवाकांत पाठक,,,
उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये' का मतलब है कि मूर्खों को दिया गया उपदेश उनके गुस्से उनकी मूर्खता,को शांत नहीं करता, बल्कि और बढ़ा देता है. इसका एक और अर्थ है कि जैसे सांपों को दूध पिलाने से उनका ज़हर बढ़ जाता है, उसी तरह मूर्खों को दिया गया उपदेश भी उनके गुस्से को और मूर्खता को और बढ़ा देता है.,, यदि कोई भी व्यक्ति किसी के साथ छल दिखावा पाखंड, करके उसे अपना कह कर उसके साथ धोखा करना चाहता है या किया है तो यदि आप बताएँगे कि वह धोखा कार रहा है,, तो जिसके साथ धोखा हो रहा है वह आपकी बात उससे बता देगा, क्योकि दिखावा ढोंग ही कलियुग में पूज्य है,, पाखंड और दिखावे में आकर लोग ढोंगी बाबाओ को,, या ढोंगी व्यक्ति को मित्र समझ कर लाखों रूपये के उपहार भेंट कर देते हैँ लेकिन सत्य में जब कोई सही व्यक्ति मिलता है तो उस पर मूर्ख लोग संदेह करते हैँ,,,माँ जानकी वास्तव में पतिव्रत को मानने वाली साक्षात् जगदम्बा थी तो लोंगो ने उनपर संदेह किया यही इतिहास और पुराण बताते हैँ,
राम स्वयं भगवान थे लेकिन रावण को विश्वास नहीं था,, इन दोनों घटनाओ में मूर्ख कौन है,,????,,
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