क्या कहता है नवोदय नगर का चुनावी गणित,,,? हास्य लेख!
स संपादक शिवाकांत पाठक!
( हंसना मना हैँ कृपया मुँह बंद रख कर पढ़िए )
भले जीत एक की हो लेकिन हर प्रत्याशी पूरे जोरशोर से सीना ठोक कर कहता है की मेरी जीत निश्चित है,, ऐसा ही नहीं वल्कि वह भट्टाचार्य की तरह गणित भी लगा कर बता देता है,, चाहें वह चेयर मेन प्रत्याशी हो या फिर सभासद बस चुनाव भी एक नशा है जिसे चढ़ गया तो चढ़ गया,, चाहे उनके मोहल्ले के वोट भी ना मिले लेकिन ताल ठोक कर चुनाव लड़ेंगे,, उनका कहना है की लड़ना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है,, हमको तो लड़ना है,, भले ही नारा भी लगाने का काम उन्हें खुद को ही करना पड़े,, वैसे ऐसे लोग जिन्होंने कभी सभासद का चुनाव भी ना जीता हो वे चेयरमैन के उम्मीदवार के रूप में दिखे तो कुछ लोग पूरा मजा लेते है,, दूर से देखते ही आइये चेयरमैन साहब आपकी जीत तो पक्की है,, बस इतना सुनते है जनाब सीना फुला कर गणित लगा कर बताने लगते हैँ की सौलेट है हमारी जीत,,
कुछ लोग चुनाव की तैयारी में चाय भी आपकी ही पीते और चर्चा आपने चुनाव की करते है गजब दिमाग़ रखते है,, यानि अपना पैसा खर्च ना हो और काम बन जाये,,,
हां कुछ लोग सालो साल जनता की वास्तव में सेवा करते हैँ ताकि एक बार उन्हें जीत हासिल हो सके,, उनकी सेवाएं भी अजीब होती हैँ,, जनता की कोई सेवा करें तो भाई जनता ये भी नहीं सोचती की हमको कौन सा काम लेना कौन नहीं,, और सेवक भी ऐसा हो एक दम हनुमान की तरह भाई कुछ भी आदेश दो इंकार ही नहीं करना,, कौन सो काज कठिन जग माही, जो नहि होत तात तुम पाही,,,,,अब सुनिए एक सज्जन चुनाव के लिए पांच साल पहले से ही करने लग गए सेवा,, तो जनता के फ़ोन आते है भाई साहब हमारी गली में कुत्ते बहुत हैँ,, तो दूसरे सज्जन फ़ोन करते हैँ,, एक गाय मरी पड़ी है गली में,,,,,
एक सज्जन ने फ़ोन किया भाई मेरे घर में सांप निकल आया है कहीं काट ना ले,, इसी तरह के काम करवाती है जनता कहीं बिच्छू तो कहीं सांप कहीं मगर मच्छ निकलने के फ़ोन रिसीव करते करते भी वह व्यक्ति था या फिर,,,,
भाई उन्हें कभी टेंसन ही नहीं हुईं,, वन विभाग को बुलाकर सांप पकड़वाते जब एक समाज सेवी को देखा तो विचार आया वाह भाई जनता भी अजीब आफत बन जाती है,,,
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