आदमी ही आदमी को खा रहा है
आदमी ही आदमी को खा रहा है!
सच बताए अब मजा भी आ रहा है!!
राज की एक बात मैं बतलाऊ तुमसे!
आदमी खुद को निगलने जा रहा है!!
मुल्क में ईमान अब बिकने लगा है!
आदमी शैतान सा दिखने लगा है!!
आदमीयत रो पड़ी है अब फफक कर!
आइना खुद आइना दिखला रहा है!!
आदमी खुद को निगलने जा रहा है- - !!
मौत आना लाजिमी है जानता है!
पर गलत क्या है कहां वह मानता है!!
ठोकरों पर ठोकरें वो खा रहा है!
आदमी खुद को निगलने जा रहा है!!
रचना स. संपादक शिवाकांत पाठक वी एस इन्डिया न्यूज परिवार संपर्क= 9897145867 हरिद्वार उत्तराखंड
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