राम नवमी पर प्रदेश वासियों को शुभकामनाएं! योगेश राघव!
स. संपादक शिवाकांत पाठक!
राम नवमी के पावन पर्व पर प्रदेश वासियों को शुभकामनाएं प्रदान करते हुए योगेश राघव जी ने कहा कि,केवल एक नाम भर नहीं , बल्कि वे जन-जन के कंठहार हैं मन-प्राण हैं, जीवन-आधार हैं| समस्त ब्रम्हांड उनके दृष्टिकोण से जीवन के
संदर्भों-परिप्रेक्ष्यों-स्थितियों-परिस्थितियों-घटनाओं-प्रतिघटनाओं का मूल्यांकन-विश्लेषण करता है| भारत से राम और राम से भारत को विलग करने के भले कितने कुचक्र-कलंक रचे जाएँ, भले कितनी वामी-विदेशी चालें चली जायँ, यह संभव होता नहीं दिखता , क्योंकि राम भारत की आत्मा हैं| राम भारत के पर्याय हैं| राम निर्विकल्प हैं, उनका कोई विकल्प नहीं , राम के दिब्य चरित्र में भारत के जन-जन का सुख आश्रय पाता है, उनके दुःख में भारत का कोटि-कोटि जन आँसुओं के सागर में डूबने लगता है और वे अश्रु-धार भी ऐसे परम-पुनीत हैं कि तन-मन को निर्मल बना जाते हैं।
अश्रुओं की उस निर्मल-अविरल धारा में न कोई ईर्ष्या शेष रहती है, न कोई अहंकार, न कोई लोभ, न कोई मोह, न कोई अपना, न कोई पराया| कैसा अद्भुत है यह दिब्य चरित-काव्य, जिसे बार-बार सुनकर भी और सुनने की चाह बची रहती है कैसा अद्भुत है यह नाम जिसके स्मरण मात्र से नयन-चकोर उस मुख-चंद्र की ओर टकटकी लगाए एकटक निहारते रह जाते हैं! उस चरित्र को अभिनीत करने वाले, उस चरित्र को जीने वाले, लिखने वाले हमारी आत्यंतिक श्रद्धा के सर्वोच्च केंद्र बिंदु बन जाते हैं| उसके सुख-दुःख, हार-जीत, मान-अपमान में हमें अपना सुख-दुःख, हार-जीत, मान-अपमान प्रतीत होने लगता है| उसकी प्रसन्नता में सारा जग हँसता प्रतीत होता है और उसके विषाद में सारा जग रोता ,जिसके भक्त ,काब्य रचयिता के प्रति जन मानस के हृदय में इतनी अगाध श्रद्धा ऐसे राम नाम की महिमा का गान करना कभी किसी काल मे सम्भव नही है।
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