धरम नगरी से बन गई अंधेर नगरी कालाबाजारी ! हरिद्वार



 काला बाजारी का गुनहगार कौन??


गुलफाम अली उत्तराखंड प्रभारी!




 देश के माननीय प्रधानमंत्री जी ने कुछ समय पूर्व कोरोना महामारी के इस आपदा के समय को अवसर में बदलने के लिए कहा था । साधारण जनमानस पर इसका कितना असर हुआ यह आप को पता नहीं है पूरा असर हरिद्वार पर हुआ कभी कभी हम खुद से पूछते हैं कि कितना गिर चुका है आदमी का जमीर सैकड़ों मौते देख कर भी बुरे काम करने से बाज नहीं आ रहा आज का इंसान! यहां हरिद्वार में गुटखा व्यापारी सिगरेट व्यापारी, शराब विक्रेता, दवा विक्रेता, यहां तक कि परचून वालों पर भी इस आपदा को अवसर में बदलने और रातो रात करोड़पति बनने का जुनून कुछ इस कदर सवार हुआ कि वह सब कुछ भूल कर जनता का गला रेतने तथा ज्यादा से ज्यादा माल कमाने के चक्कर में लग गए।


*उदाहरण*

*बीड़ी बंडल= 12,/15 रुपए   सही कीमत 10 रुपए*

*सफल तम्बाकू= 20 रुपए सही कीमत 10 रुपए*


*तेल फार्चून 160 सही कीमत 130 रुपए*


*कुछ इसी तरह दालों रिफाइंड खाद्य वस्तुओं के मनचाहे रेट सभी को ज्ञात हैं*



*शुद्ध प्लस = 5 रुपए,सही कीमत 3 रुपए*


*आदि*


*जनता मोदी जी को कोसती है परन्तु वास्तव सम्बन्धित अधिारियों की मिलीभगत से चल रहा है मुर्दा नोंचो कार्यक्रम*


 इस संकट काल में भी जमाखोरों तथा मुनाफाखोरो के हौसले बुलंद है। आलम यह है कि आवश्यक सामग्री तथा दवाइयों तक का टोटा बताकर दुकानदारों द्वारा ग्राहकों से मोटी रकम ऐंठी जा रही है। पान मसाला तथा गुटखा एवं सिगरेट की कृत्रिम शॉर्टेज दिखाकर ग्राहकों से मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। एक ओर जहां जनपद हरिद्वार की जनता कोरोना के संक्रमण से त्रस्त है वही कुछ नर पिशाच किसम के व्यापारी लॉक डाउन का भय दिखाकर जनता का खून चूसने से बाज नहीं आ रहे। प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना के खतरे से निपटने के लिए पूरे प्रदेश में नाइट कफ्र्यू  की घोषणा शाम 7 बजे से सुबह 5 बजे तक की है। दिन में 1 बजे तक आवश्यक वस्तुओं की दुकानें खोलने का आदेश दिया है इसी वजह से माल की शॉर्टेज का रोना रोकर मुनाफाखोरो द्वारा दुगने तिगने दामों पर ग्राहकों को सामान बेचा जा रहा है। गुटखा, पान मसाला, सिगरेट तथा अन्य तंबाकू उत्पादनों को लॉक डाउन का अंदेशा होते ही गोदाम में भर लिया गया था। अब उन सामग्रियों की अनुपलब्धता बता कर ग्राहकों को लूटा जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि शासन एवं प्रशासन की नाक के नीचे यह सब कुछ हो रहा है पर यह थोक व्यापारी अब भी उनकी गिरफ्त से दूर हैं। क्या शासन और प्रशासन को वास्तव में इसकी जानकारी नहीं है अथवा वह जानबूझकर अनजान बने हैं। ?? यह बात जनता के दिलों में रहस्य का विषय बनी हुई है ! जिस तरह मरे जानवर को गिद्ध नोंच नोंच कर खाते हैं ठीक उसी प्रकार से मुनाफाखोर , व चालान कर्ता भी महा भयानक संकट से जूझ रहे लोगों को नोंच रहे हैं! वरना मानवीयता तो यह कहती है कि मुफ्त शिक्षा, मुफ्त इलाज का अब पैतरा बदल जाना चाहिए गरीब लोगों का चालान ना वसूल करना भी बहुत बड़ी बात है उनसे पैसे लेकर उन्हें मास्क हेलमेट तो दिया ही जा सकता है!

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