कोरोना नहीं, भारत में इंसान को इंसान मार रहा है !रिजवान खान( संयुक्त सचिव किसान कांग्रेस उत्तराखंड)
स. संपादक शिवाकांत पाठक!
तमाम लाशे जिंदा निकलने की खबरें व अस्पताल में बिल भुगतान ना करने पर लाश ना देना साईकिल पर अपनी पत्नी की लाश ले जाना आदि सब इस बात का उदाहरण देते हैं कि अब हैवानियत ने भी सारी हदें पार कर दी हैं !धड़ल्ले से कोरोना वैक्सीन बेचकर, लोगों को पानी का इंजेक्शन दिया जा रहा है।
ऑक्सीजन सिलेंडर ब्लॉक कर कई गुना महंगा बेचा जा रहा है।डॉक्टरों द्वारा विटामिन सी अधिक लेने की कहने पर 50 रुपये प्रति किलो का नींबू 150 रुपये प्रति किलो बेचने लगते हैं।_40-50 रुपए का बिकने वाला नारियल पानी ₹100 का बेचने लगते हैं। जो डेड बॉडी लाने/देने के नाम पर भी ₹36000 तक मांगने लगते हैं।
_मरीज को दिल्ली गाजियाबाद मेरठ नोएडा स्थित किसी हॉस्पिटल में पहुंचाने की बात करते हैं तो एंबुलेंस का किराया 10 से 15 हजार किराया मांगने लगते हैं।क्या वास्तव में हम बहुत मासूम हैं.. या लाशों का मांस नोचने वाले गिद्ध!?गिद्ध तो मरने के बाद अपना पेट भरने के लिए लाशों को नोचता है पर हम तो अपनी तिजोरियां भरने के लिए जिंदा इंसानों को ही नोच रहे हैं, कहाँ लेकर जाएंगे ऐसी दौलत या फिर किसके लिए ?कभी सोचा है आपने?? एक बार सोचना जरूर,एक दिन हिसाब सबको देना पड़ेगा, जनता की अदालत में नहीं तो ईश्वर की अदालत में।
_हिंदुस्तान में कोरोना नहीं मार रहा, इंसान इंसान को मार रहा है।_
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