!मैं अकेला चल रहा हूं आज इस संसार में!!
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मैं अकेला चल रहा हूं आज इस संसार में!
सत्य हूं पर बिक रहा हूं झूठ के बाजार में!!
मैं जहां जाता अक्सर पोल खुल जाती सभी की!
जुल्म सह कर मौन हैं सब बात है ताजी अभी की!!
मतलबी हैं लोग मतलब के लिए बस जानते हैं!
कैसे कह दूं लोग वो इंसानियत को मानते हैं!!
क्यों मैं सहभागी बनूं उनके गलत व्यापार में!
सत्य हूं पर बिक रहा हूं झूठ के बाजार में!!
सत्य हूं मैं क्या बताऊं क्या हमारा हाल है!
हर किसी को अपना समझा ये मेरा भ्रम जाल है!!
अपने मतलब के लिए सौ बार मुझसे बोलते थे!
अपने दिल के राज सारे सामने जो खोलते थे!!
आज मिलने का समय भी ना रहा अधिकार में!
सत्य हूं पर बिक रहा हूं झूठ के बाजार में!!
रचना=स. संपादक शिवाकांत पाठक वी एस इन्डिया न्यूज चैनल दैनिक साप्ताहिक विचार सूचक समाचार पत्र सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त📞9897145867📱📱
अति उत्तम अति शानदार भाई साहब
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